देहरादून की एक्ट्रेस संस्कृति भट्ट से एक खास मुलाकात

अविनाश ध्यानी की फिल्म सुमेरु का टीजर हुआ रिलीज

दोस्तों चलचित्र सेंट्रल के विशेष कॉलम ‘साक्षात्कार’ में आप सभी का स्वागत है। इस कॉलम में हम आपके लिए ऐसी शख्सियत का इंटरव्यू लेकर आते हैं, जिन्होंने छोटे शहर से निकल कर मुंबई की मायानगरी तक का सफर तय किया है और टैलेंट और लगन की बदौलत फिल्म में मौका पाया है।


इस बार हम आपकी मुलाकात अभिनेत्री संस्कृति भट्ट से करवाने जा रहे हैं जो देहरादून की रहने वाली हैं। और अब उनकी पहली हिंदी फिल्म सुमेरु 1 अक्टूबर को सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है। फिल्म की शूटिंग उत्तराखण्ड की शानदार लोकेशन्स में हुई है जिसके डायरेक्टर और एक्टर अविनाश ध्यानी हैं। मुंबई में इस फिल्म के प्रोमोशनल इवेंट के दौरान उन से मेरी मुलाकात हुई तो उनसे लम्बी बातचीत हुई जिसके अंश यहाँ प्रस्तुत किये जा रहे हैं।


आप कहाँ की रहने वाली हैं और एक्ट्रेस बनने का आपने कब सोचा?

संस्कृति भट्ट: देखिये, मैं देहरादून से हूँ और मेरी एजुकेशन भी देहरादून से ही हुई है। मैंने कभी सोचा नहीं था कि मैं एक्टिंग फील्ड में जाऊँगी या हिरोइन बनूँगी क्योंकि मैं मेडिकल स्टूडेंट थी। मेरे पिता जी ने कहा कि बेटा, दो नाव पे सवार नहीं होना है। एक फील्ड चुनो तो मैंने फिल्म इंडस्ट्री को चुना। इस फील्ड में बहुत सी मुश्किलें हैं मगर इसमें एक मजा भी है। मेरे लिए यह सबकुछ बहुत नया है अलग है मगर बहुत अच्छा है।


क्या एक्टिंग आपने कहीं सीखी है और यह पहली फिल्म आपको किस तरह मिली?

संस्कृति भट्ट: एक्टिंग का मैंने कहीं से कोई कोर्स नहीं किया। लेकिन मैं 2018 में मिस उत्तराखण्ड रह चुकी हूँ। मैंने वह टाइटल जब जीता तो मुझे देहरादून में ऑडिशन के लिए कॉल आया। मैं जब फिल्म प्रोडक्शन हाउस के दफ्तर में ऑडिशन देने गई तो वहाँ ढेर सारे लड़के लड़कियां ऑडिशन के लिए आए हुए थे। मैं वहाँ सिर्फ यह देखने गई थी कि ऑडिशन कैसे होता है। मैं मेडिकल की तैयारी कर ही रही थी कि ऑडिशन देने के बाद मेरे पास एक फोन आया कि मुझे लुक टेस्ट देना था। उस समय मैंने सौम्य गणेश फिल्म के लिए ऑडिशन दिया था और मैं पास हो गई। वह फिल्म बनी, लेकिन रिलीज होने वाली पहली फिल्म सुमेरु है क्योंकि सौम्य गणेश इसके बाद रिलीज होगी। सुमेरु फिल्म की शुरुआत हमने लॉक डाउन के दौरान की। हमें लगा कि एक पहाड़ से बेहतर कोई और जगह नहीं हो सकती क्वारेन्टाइन होने के लिए। हम ने उत्तराखण्ड के हर्षिल में 35 दिन टेंट लगा कर शूट किया। उस दौरान पहाड़ पर हमारी टीम के अलावा कोई भी नहीं आया।

संस्कृति भट्ट
संस्कृति भट्ट


फिल्म का नाम सुमेरु किस तरह पड़ा?

संस्कृति भट्ट: सुमेरु उत्तराखण्ड के एक पहाड़ का नाम है। फिल्म के जो दो मुख्य किरदार हैं उनकी जर्नी उसी पहाड़ तक दिखाई गई है। इसलिए इसका टाइटल यह रखा गया।

फिल्म में आपका किरदार किस तरह का है?

संस्कृति भट्ट: मैंने सावी मल्होत्रा का रोल किया है जो सूरत की रहने वाली लड़की है। उसके पिता सूरत के बड़े कारोबारी हैं और वह अपनी डेस्टिनेशन वेडिंग के लिए हर्षिल आती है। और वहाँ से कहानी यु टर्न ले लेती है।

अविनाश ध्यानी फिल्म के हीरो भी हैं और डायरेक्टर भी, उनके साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?

संस्कृति भट्ट: अविनाश ध्यानी के साथ काम करने का यादगार अनुभव रहा। वह एक काबिल और कुशल निर्देशक हैं। बतौर को एक्टर भी वह कमाल हैं। एक्टिंग रिएक्शन का दूसरा नाम है और अविनाश का जब शॉट नहीं भी होता था तो भी वह ऐसा करके दिखाते थे कि हमें एक्ट करने में बेहद आसानी होती थी।

फिल्म में संगीत का कितना स्कोप है?

संस्कृति भट्ट: फिल्म में ५ गाने हैं। एक गाना शान की आवाज में बहुत ही खूबसूरत है। इसको खूबसूरती से लिखा और कम्पोज़ किया गया है। और अविनाश ध्यानी ने इसे उतने ही वंडरफुल ढंग से इसे फिल्माया है। तमाम गाने एक से बढ़कर एक हैं।

फ़िल्म के पोस्टर पर टैग लाइन लिखी है “रे छोरे यो प्यार है थारी समझ के बाहर है”, इसका कहानी से क्या सम्बन्ध है?

संस्कृति भट्ट: दरअसल अविनाश ने हरियाणवी लड़के का रोल प्ले किया है। अपने खोए हुए पिता की तलाश में हरियाणवी नवजवान भँवर प्रताप सिंह अपना सबकुछ छोड़कर एक अनजाने सफ़र के लिए उत्तराखण्ड निकल पड़ता हैं इस बीच इत्तेफाक से भँवर प्रताप की मुलाक़ात सावी से होती हैं जो अपनी डेस्टिनेशन वेडिंग के लिए उत्तराखण्ड के ख़ूबसूरत शहर हर्षिल आयी हैं। कहानी में सावी अब भँवर प्रताप के साथ उसके पिता की तलाश के मुश्किल सफ़र में साथ है। इस सफ़र में भँवर प्रताप सिंह और सावी को एक दूसरे से प्यार हो जाता है। “सुमेरु” दरअसल एक भावनात्मक प्रेम कहानी है। अपनी शादी की तैयारी कर रही सावी सब कुछ छोड़कर भँवर प्रताप सिंह के साथ उस सफ़र पर निकलती हैं जिसका अंत उसे मालूम भी नहीं है। यह बहुत ही मासूम मोहब्बत की दास्ताँ हैं, यह एक ऐसी कहानी है जिसमे सब कुछ उम्मीद के उलट होता है। उम्मीद है कि दर्शक इसे पसंद करेंगे।

क्या आपको लगता है कि प्यार इन्सान की समझ से बाहर होता है?

संस्कृति भट्ट: जी बिलकुल, यह सही है। सावी का किरदार प्ले करके मुझे यही समझ में आया कि मोहब्बत इंसान की समझ से बाहर की चीज है।


आपकी पसंदीदा बॉलीवुड एक्ट्रेस कौन रही हैं?

संस्कृति भट्ट: स्मिता पाटिल की फिल्मे मैंने अपने रिहर्सल के दौरान खूब देखी। वह एक तरफ आर्ट फिल्मों की अदाकारा भी रही हैं और कमर्शियल एक्ट्रेस के रूप में भी उन्होंने अपनी गहरी छाप छोड़ी है। उनकी तरह मैंने किसी की एक्टिंग नहीं देखी। मेरी फेवरेट एक्ट्रेस करीना कपूर भी रही हैं। वैसे मैं हर एक्ट्रेस से कुछ न कुछ सीखती हूँ।

About गाज़ी मोईन

गाजी मोईन मुंबई में काफ़ी समय से फ़िल्मी दुनिया में बतौर गीतकार, राईटर और फ़िल्म जर्नलिस्ट एक्टिव हैं। वह कवि भी हैं और आप मुंबई सहित देश भर के कई कवि सम्मेलनों और मुशायरों में अपनी शायरी पेश करते आए हैं। ऑल इंडिया रेडियो मुम्बई पर नियमित रूप से वह अपनी रचनाएँ पेश करते आए हैं। म्यूज़िक एलबम "तू ही तो था" और "शब" के लिए लिखे हुए उनके गीत काफी मक़बूल हुए हैं। सिंगर रूप कुमार राठौड़ और ग़ज़ल सिंगर सोनाली राठौड़ की आवाज़ में उनके गीत और ग़ज़लें रिकॉर्ड हैं जिन्हें रेडियो मिर्ची से प्रसारित किया गया। गाज़ी मोईन ने दूरदर्शन के कई सीरियल्स लिखे हैं, कई म्यूज़िक चैनल से जुड़े रहे हैं और फ्रीलांसर के रूप में कई अख़बारों, मैगज़ीन के लिए लिखते रहे हैं। गाज़ी मोईन मुंबई में द इंडियन परफॉर्मिंग राईट सोसाइटी लिमिटेड के मेंबर भी हैं। गाज़ी मोईन को उनके योगदान के लिए "सिनेमा आजतक अचीवमेंट अवॉर्ड" सहित कई पुरस्कारों और सम्मानों से भी नवाजा जा चुका है। इनकी 2 पुस्तकें पब्लिश हो चुकी हैं।

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