दर्शन फर्स्वाण

Darshan Farswan: Biography

संक्षिप्त परिचय:

जन्म: 20 जुलाई 1994
जन्मस्थान: रतगाँव
शिक्षा: स्नातक- BSC- (डी. ए. वी. पी. जी. कॉलेज देहरादून DAV. PG. Collage Dehradun )
व्यवसाय: गायन
पिताजी: श्री बलवंत सिंह
माता: श्रीमती गमा देवी
तहसील: थराली चमोली

कहाँ और कब हुआ दर्शन फर्स्वाण (Darshan Faraswan) का जन्म?

दर्शन फर्स्वाण (Darshan Faraswan) का जन्म 20 जुलाई 1994 को चमोली जिले के रतगाँव में हुआ। एक मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मे दर्शन का बचपन गाँव की ही खूबसूरत वादियों में बीता। इनकी माता श्रीमती गमा देवी एक कुशल गृहणी है और पिताजी श्री बलवंत सिंह असम रायफल में है। दर्शन एक प्रकृति शौकीन व्यक्ति हैं जो बचपन में अक्सर अपने गाँव के जंगलों में गाय बकरियों के साथ में अपना समय व्यतीत किया करते थे। आज भी वो देहरादून में अपना काम खत्म करने के बाद अपने गाँव जाना पसंद करते हैं और अपना खाली समय पहाड़ों में गुजारना पसंद करते हैं।

शिक्षा के साथ साथ खेती बाड़ी में भी बटाया माँ का हाथ

दर्शन फर्स्वाण (Darshan Faraswan) की प्राथमिक शिक्षा राजकीय प्राथमिक विद्यालय रतगाँव में संपन्न हुई और इंटर दर्शन ने जी. आई. सी. इंटर कॉलेज रतगाँव (GIC Ratgaon से) किया। बचपन से ही माँ के बहुत करीब रहे दर्शन हर काम में अपनी माँ का हाथ बटाया करते थे। खेती बाड़ी और जंगल से लकड़ी, घास लाने से लेकर खाना बनाने तक हर काम में दर्शन निपुण रहे। वो जब जब घर में रहते हैं तो सारा काम करते हैं। दर्शन ने इंटर के बाद कॉलेज के लिए देहरादून जाना मुनासिब समझा और वहीं उन्होंने (डी. ए. वी. पी. जी. कॉलेज देहरादून DAV. PG. Collage Dehradun ) से अपना BSC कंप्लीट किया।

कैसे हुई गायन की शुरुआत?

कहते हैं कि बच्चे की प्रथम पाठशाला उसका परिवार होता है। परिवार के साथ रहते रहते उसे ज़िंदगी का मकसद समझ आने लगता है। घर का जैसा माहोल होता है बच्चा बड़ा होकर उसी में ढलकर अपनी मंजिल की तरफ बढ़ने लगता है। यही सब दर्शन ने भी महसूस किया और घर में अपनी माँ को हर पल गुनगुनाते देख खुद को भी उसी धुन में रमाने लगे। दर्शन का कहना है कि उनकी माँ भी बहुत अच्छा गाती है और अपनी माँ से ही उन्होंने पहाड़ी गायन सीखा है। स्कूलों में सांस्कृतिक समारोहों में प्रतिभाग करते हुए दर्शन को गायन का मौक़ा मिल जाता था। गाँव में भी छोटे छोटे कार्यक्रमों में दर्शन लगातार गाया करते थे। गाते गाते जब उन्हें ये एहसास हुआ कि वो आगे जाकर अच्छा गायन कर सकते हैं तो उन्होंने गायन को ही अपना व्यवसाय शौक़ और सपना बना लिया। दर्शन का कहना कि उनकी रग रग में पहाड़ी फोक संगीत रमा बसा है। बिना संगीत के वो अपना जीवन अब अधूरा सा मानते हैं।

दर्शन फर्स्वाण (Darshan Faraswan) ने कब और कहाँ रिकार्ड किया अपना पहला गीत?

घर से लेकर स्कूल और स्कूल से लेकर कॉलेज। गायन का ये सिलसिला एक दिन दर्शन को आखिर स्टूडियो की तरफ खींच ले ही गया। 2014 में दर्शन ने अपना पहला गीत “मेरी पराणी” (Meri Parani) ईशान डोभाल के स्टूडियो में रिकार्ड किया। नंदा कैसेट से ये गीत रिलीज हुआ था पर इससे दर्शन को कुछ खास पहचान नहीं मिल पाई। उसके बाद 2016 में दर्शन ने गीत “ओ राजुमा” (O Rajuma) निकाला। जिसका संगीत भी ईशान ने ही दिया था। इसमें उनके साथ किशन महिपाल(Kiahan Mahipal) और हेमा नेगी करासी (Hema Negi Karasi ) ने भी गाया था। नंदा कैसेट से रिलीज हुए इस गीत को भी कुछ खास पहचान नहीं मिल पाई। 2017 में एक बार फिर दर्शन ने अपना नया गीत “कुँजा फुना” (Kunja Funa) निकाला। गीत गायन का सिलसिला मुसलसल चलता रहा मगर वो मकाम हासिल ना हो पाया जिसकी दर्शन को तलाश थी।

आखिर वो कौन सा गीत है जिसने दर्शन फर्स्वाण (Darshan Faraswan) को दिलाई एक मजबूत पहचान?

संगीत सुनने में जितना मनमोहक लगता है उसके क्षेत्र में सफलता हासिल करना उतना ही मुश्किल होता है। यहाँ मैं एक बात और कहना चाहती हूँ कि संगीत का जितना वृहद रूप हिन्दी पंजाबी और अंग्रेजी भाषाओं में है उतना पहाड़ी भाषा में नहीं है। इसलिए यहाँ पहाड़ों में संगीत को स्वीकार करने में बहुत समय लग गया। यहाँ सफलता का स्वाद हर कलाकार को बहुर देर के बाद चखने को मिलता है। लगातार मेहनत करने बाद आखिर वो गीत आ ही गया जिसने दर्शन फर्स्वाण (Darshan Faraswan) को लोगों के बीच काफी चर्चित कर दिया। साल 2018 में 9 जून को KPG Film Production से दर्शन का गीत “दादू गोरिया” (Dadu Goriya ) रिलीज हुआ। ये गीत दर्शन ने स्वयं लिखा था जिसमें संगीत दिया था विनोद चौहान ने। इस गीत के बाद पहाड़ी गायन क्षेत्र में दर्शन की अच्छी मार्केट बन थी। फिर धीरे धीरे यही मेहनत कामयाबी की तरफ बढ़ाती गई और दर्शन अपने मकाम पर गाते हुए बड़ी आसानी से पहुँच गए।

दर्शन फर्स्वाण (Darshan Faraswan) की संगीत शिक्षा

दर्शन फर्स्वाण (Darshan Faraswan) ने आदरणीय श्री जगुड़ी जी से केवल तीन चार महीने ही संगीत की शिक्षा ग्रहण की है। उसके बाद किसी कारणवश उन्होंने अपनी शिक्षा बीच में ही रोक ली। दर्शन को जब भी समय मिलता वो या देहरादून अपने कमरे या जब गाँव होते हैं तब घर में ही अपना अभ्यास किया करते थे। उनके गले में सचमुच माँ सरस्वती की कृपा है क्योंकि पहाड़ी फोक के जो स्वर उनके कंठ से निकलते हैं वो औरों के मुख से बहुत कम सुनाई पड़ते हैं। दर्शन कहते हैं कि उनकी माँ ही उनकी पहली गुरु हैं क्योंकि बचपन उन्होंने अपनी माँ को गुनगुनाते सुन ही बिताया है। गाँव के हरे भरे खेत और प्रकृति के खूबसूरत नज़ारों के बीच दर्शन गुनगुनाया करते हैं।

पहाड़ी वाद्य यंत्रों से दर्शन की घनिष्ठता

एक बात तो सत्य है कि जितनी मधुर दर्शन फर्स्वाण (Darshan Faraswan) की आवाज़ है उतनी ही महारथ उनको पहाड़ के प्रसिद्ध वाद्य यंत्रों को बजाने में भी है। वो हारमोनियम, तबला, हुड़का और ढोल बहुत अच्छे से बजा लेते हैं। उनके अंदर एक खासियत है कि वो किसी भी यंत्र को सीखने के प्रति बहुत लालयित रहते हैं। दर्शन बाँसुरी बजाने का भी शौक़ रखते हैं साथ ही उन्हें जैम्बे का भी शौक़ है।

दर्शन फर्स्वाण (Darshan Faraswan) की लेखनी में झलकता है पहाड़ का मनमोहक फोक

दर्शन फर्स्वाण (Darshan Faraswan) एक उम्दा गायक होने के साथ-साथ कमाल के लेखक भी है। उन्होंने अभी तक जितने भी हिट सॉन्ग्स दिए हैं उनमें से लगभग सभी सॉन्ग्स इनकी कलम से ही निकले हैं। “हिमगिरि की चेली” (HIMGIRI KI CHELI), शिव जटाधारी भैरव (SHIV JATADHARI BHAIRAV), SHIV KI BARAT(शिव की बरात) उनके द्वारा रचित प्रसिद्ध भजन हैं। फोक के अलावा भी दर्शन ने पहली बार थोड़ा हटकर डाँस गीत गाने और लिखने का प्रयास किया था जिसमें उन्हें अपार सफलता हासिल हुई। इस गीत को दर्शन के आलवा उनके मित्र सुनील पुरोहित ने भी लिखा था जो पेशे से एक बहुत ही उम्दा चित्रकार हैं। उस गीत का नाम है झुमकी (Jhumki) जिसे दर्शन ने गाया भी है। झुमकी 2021 के सबसे ज्यादा पसंद किये जाने वाले गीतों में से एक रहा है।

दर्शन फर्स्वाण (Darshan Faraswan) के द्वारा अभी तक गाए गए गीत

दर्शन फर्स्वाण (Darshan Faraswan) ने बहुत से गीतों में अपनी आवाज़ का जादू बिखेरा है। अपनी उम्र के हिसाब से उन्होंने एक अच्छे तजुर्बे को अपने नाम किया है। फोक, डाँस और भजन तीनों विधाओं में अपनी आवाज़ दी है।

उनके गायन की शुरुआत अभी कुछ साल पहले ही हुई है आगे मंजिल बहुत बड़ी है जिसे छूने के लिए वो हमेशा तत्पर रहते हैं और निरंतर अच्छे प्रयास की और अग्रसर हैं।

दर्शन फर्स्वाण (Darshan Faraswan) द्वारा अब तक गाये गये गीत:

  1. हिमगिरि की चेली(HIMGIRI KI CHELI)
  2. शिव जटाधारी भैरव (SHIV JATADHARI BHAIRAV)
  3. शिवकीबरात (SHIV KI BARAT)
  4. झुमकी (Jhumki)
  5. मेरी पराणी (Meri Parani)
  6. ओ राजुमा” (O Rajuma)
  7. कुँजा फुना” (Kunja Funa )
  8. दादू गोरिया” (Dadu Goriya )
  9. नौकरी (NAUKRI)
  10. चांचड़ी (Chanchari)
  11. चेली राजुला (Cheli Rajula )
  12. ढोल दमों (Dhol Damo)
  13. जौ की हैरयाली (Jau Ki Hariyali)
  14. रामुली दिदी (Ramuli Didi)

About सुजाता देवराड़ी

सुजाता देवराड़ी मूलतः उत्तराखंड के चमोली जिला से हैं। सुजाता स्वतंत्र लेखन करती हैं। गढ़वाली, हिन्दी गीतों के बोल उन्होंने लिखे हैं। वह गायिका भी हैं और अब तक गढ़वाली, हिन्दी, जौनसारी भाषाओँ में उन्होंने गीतों को गाया है। सुजाता गुठलियाँ नाम से अपना एक ब्लॉग भी चलाती हैं।

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