बौ सुरैला का नया डीजे वर्ज़न रिलीज़

बौ सुरैला

कुछ गीत किसी संस्कृति में इतने घुल-मिल गये होते हैं कि उनकी लोकप्रियता कभी भी खत्म नहीं होती है। इनका दौर कभी खत्म नहीं होता है। ऐसा ही एक गीत 1983 में रिलीज़ हुई पहली गढ़वाली फिल्म जग्वाल, जिसे पराशर गौड़ द्वारा बनाया गया था, का ‘मेरी बौ सुरैला’ है। स्व चन्द्र सिंह राही द्वारा गाये गये इस गढ़वाली गीत ने रिलीज़ होने के बाद से आजतक उत्तराखण्ड के नमानस को अपने मोह पाश में बाँध कर रखा हुआ है।


इस गीत में इतनी मिठास है कि आप चाहे किसी पार्टी का हिस्सा हो या, कहीं किसी के साथ लंबे सफ़र पर घूमने निकले हों, जब भी सुन इसे लो झूमे बगैर नहीं रह पाओगे, गुनगुनाए बगैर नहीं रह पाओगे।

जग्वाल फिल्म का गीत मेरी बौ सुरैला

यह इस गीत का आकर्षण ही है कि अभी हाल ही में मेरी बौ सुरैला को 26 अगस्त को नए कलेवर में आर्यन फिल्मस द्वारा प्रस्तुत किया गया है।

बौ सुरैला के नये वर्ज़न को सौरव मैठाणी ने अपनी आवाज दी है। गाने को डायरेक्ट किया है विजय भारती ने और संगीत से सजाया है विनोद चौहान ने। गाने को अपने रिदम से लोगों को थिरकने पर मजबूर किया है सुभाष पांडे ने।

संजय सिलोड़ी ने हमेशा से अपनी अदाकारी से लोगों के दिलों पर राज किया है। ये जब भी किसी गीत में नजर आते हैं उस गीत का हिट होना लगभग तय होता है। इस बार भी यही हुआ है। महज चार दिन के अंदर इस गीत ने अब तक 50000 से ऊपर व्यूज कमा लिए। बौ के किरदार में नजर आई रुचि रावत ने भी अपनी खूबसूरती और अदायगी से सबको दीवाना किया है। इतने कम समय में इतने अधिक लोगों को अपनी तरफ खींच लाना एक अच्छे गीत की खूबी होती है। बौ सुरैला को इस नए अंदाज़ में भी उतना ही प्यार मिल रहा है जितने प्यार के साथ लोगों ने इसे 1983 में स्वीकार किया था।

पहाड़ की खूबसूरत वादियों में फिल्माए गए इस नए रूप के बौ सुरैला को आप भी सुनिए और मजे लीजिए अपने दोस्तों के साथ।

बौ सुरैला

About सुजाता देवराड़ी

सुजाता देवराड़ी मूलतः उत्तराखंड के चमोली जिला से हैं। सुजाता स्वतंत्र लेखन करती हैं। गढ़वाली, हिन्दी गीतों के बोल उन्होंने लिखे हैं। वह गायिका भी हैं और अब तक गढ़वाली, हिन्दी, जौनसारी भाषाओँ में उन्होंने गीतों को गाया है। सुजाता गुठलियाँ नाम से अपना एक ब्लॉग भी चलाती हैं।

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