सोहन चौहान

सोहन चौहान उत्तराखंडी गीत निर्देश व कोरियोग्राफर- जीवनी

संक्षिप्त परिचय

जन्म: 19 August 1991
जन्मस्थान: कोटी गाँव ( पौड़ी गढ़वाल )
शिक्षा: 12th + लोकनृत्य डिप्लोमा ( भातखण्डे विद्यालय, देहरादून डालनवाला )
व्यवसाय: गीत निर्देशक
माता जी: श्रीमती सरोजिनी देवी चौहान
पिता जी: स्वo राजेश सिंह चौहान
पता: कोटी गाँव, कंडारस्यूं पट्टी, पौड़ी गढ़वाल

‘सोहन चौहान’ (Sohan Chauhaan) उत्तराखंड गीत-संगीत और लोकनृत्य के क्षेत्र में पिछले कई सालों से कार्यरत हैं। इन्होंने कई गीतों में अभिनय किया है और आज अपने अनुभव को साथ लिए एक गीत निर्देशक के तौर पर उत्तराखंड में कार्य कर रहे हैं।

कहाँ और कब हुआ निर्देशक सोहन चौहान का जन्म?

सोहन चौहान (Sohan Chauhaan) का जन्म 19 अगस्त 1991 में पौड़ी गढ़वाल के कोटी गाँव में हुआ है। चार भाई बहनों में सोहन सबसे बड़े हैं। इनके पिताजी आई.एम.ए. देहरादून में सरकारी कर्मचारी थे, इसी वजह से आई.एम.ए. कैम्पस में सरकारी मकान में काफी समय तक सोहन चौहान के परिवार का रहना हुआ। ज़िंदगी अच्छे से चल ही रही थी कि अचानक इनके पिताजी की तबियत बिगड़ने लगी और इलाज के लिए अस्पताल के चक्कर लगने लगे। शायद भगवान को कुछ और मंजूर था और सन् 2002 में इनके पिताजी का स्वर्गवास हो गया। इस समय सोहन की उम्र यूँ ही कुछ ग्यारह साल की थी।
कहते हैं कि समय किसी के लिए नहीं रुकता है। कुछ समय बाद इस दुख ने यादों की जगह ले ली और वक्त आगे बढ़ता चला गया। सोहन चौहान की उम्र कम होने के कारण पिता की जगह उनकी माता सरोजिनी देवी चौहान को आई.एम.ए. में सरकारी नौकरी मिल गई और नौकरी के साथ-साथ इनकी माता ने इनका लालन पालन किया।

कहाँ सम्पन्न हुई स्कूली शिक्षा और आगे की पढ़ाई ?

सोहन चौहान की स्कूली शिक्षा तीसरी क्लास तक कोटी गाँव पौड़ी गढ़वाल में ही हुई। उसके बाद फिर तीसरी और चौथी कक्षा तक की पढ़ाई श्री गुरु नानक पब्लिक गर्ल्स इंटर कॉलेज (Shri Guru Nanak Public Girls Inter College) प्रेमनगर देहरादून से हुई। आगे छठवीं से लेकर बारहवीं क्लास तक की पढ़ाई डी.ए.वी. इंटर कॉलेज प्रेमनगर देहरादून (DAV Inter College in Prem Nagar,Dehradun) में सम्पन्न हुई। जब पिता का साया सर पर न हो तो घर में सबसे बड़े होने का दायित्व भी बढ़ने लगता है। ज़िम्मेदारियाँ हमें कम उम्र में ही अपने होने का एहसास करा देती हैं। यही कुछ सोहन चौहान के साथ भी हुआ। बारहवीं पूरी होने के बाद से ही इन्होंने कुछ कंपन्नियों में छोटी मोटी नौकरी करनी शुरू कर दी।

एक कलाकार के रूप में कैसे शुरू हुई सोहन चौहान के सफर की शुरुआत?

अक्सर बचपन में ही पता चल जाता है कि बच्चे की रुचि किस तरफ बढ़ रही है। सातवीं या आठवीं क्लास तक पढ़ाई के अलावा बच्चे का रुझान किस तरफ ज्यादा है ये अनुमान अभिभावकों को हो जाता है। वो बात अलग है कि कुछ माता पिता बच्चे की इस रुचि को संज्ञान में ले लेते हैं और कुछ माता पिता अपने बच्चों का ध्यान उस तरफ मोड़ देते हैं जो वो अपने बच्चे को बनाना चाहते हैं। सोहन चौहान को भी बचपन से क़िस्से कहानियों और गीत संगीत का बहुत शौक़ था। बड़े होने के बाद अपने परिवार की परिस्थिति के चलते उन्होंने कुछ समय के लिए इस शौक़ से किनारा कर लिया।
कुछ समय नौकरी की मगर वहाँ इनको अच्छा नहीं लगा क्योंकि मन में तो एक कलाकार छिपा था। बहुत सोच विचार कर इन्होंने सब छोड़ छाड़ कर भातखण्डे विद्यालय, देहरादून डालनवाला से ‘लोकनृत्य डिप्लोमा’ करने का निश्चय कर किया। डिप्लोमा पूरा होने के बाद सौहान चौहान एक कलाकार के रूप में अपनी पहचान बनाने के लिए अपनी मंज़िल की ओर निकल पड़े। उन्होंने ये संकल्प लिया कि अब इसी क्षेत्र को अपनी नौकरी समझ कर कार्य करूँगा।

एक विज्ञापन के जरिये सोहन चौहान ने शुरू किया अभिनय

अभिनय के क्षेत्र में हुई अपनी शुरुआत के विषय में वो बताते हैं:

“बहुत पहले टीवी में एक शो आया करता था ‘हमारी बातें आपकी यादें’। उसमें एक विज्ञापन देखा जिसमें लिखा था कि गढ़वाली गीतकार या अभिनेता बनने के लिए संपर्क करें। मैं शुरुवात में वहाँ पहले गीतकार बनने की उम्मीद से शामिल हो हुआ। धीरे-धीरे वहाँ लोगों को अभिनय करते देख मेरी भी नृत्य में और अभिनय में रुचि हुई होने लगी। कुछ समय बाद वहीं से स्टेज प्रोग्राम में नृत्य, नाटक, रोड़ पर नुक्कड़ आदि बहुत से प्रोग्राम किए।”

सोहन चौहान ने पहली दफ़ा प्रीतम भरतवाण के साथ मंच पर एक बैकग्राउण्ड डांसर के रूप में प्रस्तुति दी थी। उस समय अजय-विजय भारती के डांस ग्रुप से इनकी शुरुवात हुयी। इन्होंने बहुत से गानों में एक बैकग्राउण्ड कलाकार की भूमिका निभायी थी। वह अपने कार्य को पूरी लगन के साथ करते थे और उनकी इसी लगन ने उनको एक दिन मुख्य कलाकार के रूप में भी पहचान दिला दी।

‘सूरिमा’, ‘होरी ऐगे’, ‘मेरी प्यारी अंजू’ और अन्य कई गीतों में इन्होंने मुख्य कलाकार की भूमिका निभायी है। इसी तरह लोक नृत्य का इनका सफर आगे बढ़ता गया।

कलाकार होने के बावजूद कैसे गीत निर्देशन की तरफ बढ़े सोहन चौहान?

सोहन चौहान उत्तराखण्ड इंडस्ट्री में साल 2009 में एक डांसर के तौर पर शामिल हुए थे। उन्होंने लगभग 70 वीडियो एल्बम में एक बैकग्राउण्ड डांसर का काम किया।

साल 2009 से अभी तक सोहन चौहान लगभग सभी उत्तराखण्डी गायकों / लोकगायकों जैसे नरेंद्र सिंह नेगी, प्रीतम भरतवाण, मीना राणा, अनुराधा निराला, किशन महिपाल, गजेंद्र राणा, मंगलेश डंगवाल, संगीता ढौंडियाल, सौरव मैठाणी, दर्शन फर्स्वाण, कल्पना चौहान रोहित, चौहान आदि के साथ 300 से अधिक मंचों पर एक नृत्य कलाकार के रूप में प्रस्तुति दे चुके हैं।

2018 तक उन्हें मंच और अभिनय का काफी अनुभव हो चुका था पर अब वह इस इंडस्ट्री में कुछ और भी करना चाहते थे। वह ये बाखूबी जानते थे कि जब तक स्वयं को इंडस्ट्री से जुड़े अलग अलग कार्यों में एक्सपर्ट नहीं बना देते तब तक इस लाइन में दूर तक टिकना संभव नहीं है। यही कारण था कि उन्होंने डांस कोरियोग्राफी के साथ-साथ डायरेक्शन भी सीखना शुरू कर दिया।

अजय-विजय भारती, अनिल बिष्ट, अरविन्द नेगी, अंकुश सकलानी, किशन महिपाल, गोविन्द नेगी, अनुज जोशी, बबलू जंगली, रवि भट्ट, महेश प्रकाश जैसे जाने-माने डाइरेक्टर और कैमरामेन के साथ लंबे समय तक असिस्टेंट डायरेक्टर और असिस्टेंट कैमरामेन का कार्य सीखने के बाद इन्हीं लोगों के साथ सौहान चौहान ने बहुत काम भी किया।

धीरे धीरे जब अनुभव बढ़ता गया तो इनको लगने लगा कि अब निर्देशन के क्षेत्र में उतरना चाहिए। सोहन चौहान ने तय कर लिया था कि अब वो पर्दे पर नहीं पर्दे के पीछे की ज़िम्मेदारी संभालेंगे। अपनी इसी कोशिश में वह कामयाब होते भी दिख रहे हैं।

किस गीत से हुई सोहन सोहन चौहान के निर्देशन की शुरुआत?

सोहन चौहान ने म्यूजिक वीडियो के निर्देशन और कोरियोग्राफी में कदम 19 अगस्त 2019 को रखा। इस साल दर्शन फर्स्वाण का एक गीत रिलीज हुआ था ‘रामुली दीदी’ (Ramuli Didi)। इस गीत का सोहन चौहान ने न केवल निर्देशन किया बल्कि इसमें उन्होंने सह-कलाकार की भूमिका भी निभायी। कभी-कभी शूटिंग के दौरान डायरेक्टर को कोई आइडिया स्ट्राइक करता है। कई बार इस आआइडिया को परफ़ॉर्म करने के लिए अगर कोई कलाकार उपलब्ध न हों तो वह खुद ही अभिनय कर लेते हैं।

इसके बाद उन्होंने सौरभ मैठानी (Saurav Maithani) और पूनम सती (Poonam Sati) के गीत ‘नीलिमा (Neelima)’ का निर्देशन किया। यह एक फोक गीत था जो 24 अगस्त 2019 को रिलीज हुआ था।
उस समय इस गीत ने उनको काफी लोकप्रियता दिलायी। स्कूल समारोह और चाँचड़ी नृत्य में इस गीत पर लोग खूब झूमे थे।

धीरे-धीरे सोहन चौहान गीत निर्देशन में निपुण होते चले गए और उनके द्वारा निर्देशित गीतों की सूची बढ़ती चली गयी। आज लगभग 90 से भी अधिक गीतों का वह निर्देशन और कोरियोग्राफी कर चुके हैं। उन्हीं गीतों में से कुछ बहु-चर्चित गीत ये हैं:

  1. पहाड़ों को रैबासी
  2. रंगभंग
  3. क्रीम पौडरा
  4. बांद बिजोरा
  5. भामा मेरी
  6. मास्टर जी
  7. भानुमति
  8. ढाई हाथे धमेली
  9. झुमकी
  10. मोतिमा,
  11. भामा मेरी
  12. ढोल दामों की थाप
  13. खिड़की मा बैरोली,
  14. मेरो झुमको,
  15. यखी बासा रै जौंला,
  16. चाहा को होटल,
  17. शिव जटाधारी भैर
  18. सटके लीगो दिल
  19. झम का झोला
  20. ओ रंगीली धना
वह कौन से चुनिंदा गीत थे जिन्होंने सोहन चौहान को दिलायी लोकप्रियता

सोहन चौहान उत्तराखंड के सबसे कम उम्र के निर्देशक के रूप में जाने पहचाने जाते हैं। जैसा कि हम ऊपर बात कर चुके हैं कि उन्होंने बहुत संघर्षों के बाद एक निर्देशक के रूप में खुद को स्थापित किया है। अब तक उनके द्वारा निर्देशित जितने गीत भी आए हैं वो सभी अच्छे रहे हैं। पर कुछ ऐसे गीत भी हैं जिन्होंने उनको न केवल सम्मान दिलाया बल्कि उनको पहाड़ी शीर्ष गीत निर्देशकों की सूची में शामिल किया है। सभी तरह के गीतों, फिर चाहे वो भाव प्रधान हों या नृत्य प्रधान, का सोहन चौहान ने निर्देशन किया है।

क्रीम पोडरा (Cream Paudara)

2022 में रिलीज हुए इस गीत ने उस साल सभी के मन में अपनी जगह बना ली थी। सोहन चौहान के निर्देशन में बने इस गीत को राकेश कंवल (Rakesh Khanwal) & माया उपाध्याय ( Maya Upadhyay) ने गाया है।

भामा मेरी (Bhama Meri)

अमित खरे (Amit Kharre) और मीना राणा (Meena Rana) की आवाज में ये गीत 2023 में आया और सबके दिलों पर प्यार की अलग छाप छोड़ गया।

ढोल दामों की थाप (Dhol Damo Ki Thaap)

दर्शन फर्स्वाण (Darshan Farswan) मेघना चंद्रा (Meghna Chandra) और सौरभ मैठानी (Saurav Maithani) की आवाजों में सजा और सोहन चौहान के निर्देशन में बना ये एक शुद्ध फोक गीत है। इस गीत में माँ नंदा देवी की डोली पर उत्सव मानते लोग और गाँवों में मंडाण का आनंद लेते लोगों को दर्शाया गया है।

पहाड़ों कु रैबासी (Pahadon Ku Raibasi)

सोहन चौहान का मानना है कि गीत में जब तक कोई कहानी या कोई दिलचस्प किस्सा न हो उसमें काम करने में मजा नहीं आता है। पहाड़ों कु रैबासी भी गॉंव और शहर में भिन्नता को दिखाता हुआ एक गीत है।

किन-किन सम्मानों से सम्मानित हुए हैं सोहन चौहान
डांडी कांठी क्लब द्वारा सम्मानित होते सोहन चौहान

सोहन चौहान ने पहाड़ी भाषा के लगभग हर तरह के गीतों का निर्देशन कर किया है। इनके कुछ प्रसिद्ध गीतों के लिए इन्हें कई जगह सम्मान भी दिया गया है। यह सम्मान निम्न हैं:

Himadri Films द्वारा 2021 में सर्वश्रेष्ठ निर्देशक सम्मान

YUFFA Awards 2022 – गीत “Cream Podara (क्रीम पाउडर) के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार

निर्देशन और कोरियोग्राफी के लिए वर्ष 2023 का ‘राज्य वाद्य यंत्र सम्मान’


एक नृत्य कलाकार के रूप में भले ही सोहन चौहान को उतनी प्रसिद्धि न मिली हो, मगर एक निर्देशक के तौर पर सोहन चौहान स्वयं को निखारने की कोशिश कर रहे हैं। उनकी यही कोशिश उनको सफलता की ओर ले जा रही हैं। पहले और आज के बीच के अंतर के विषय में पूछने पर वह कहते हैं कि जब वो एक कलाकार थे या जब वो निर्देशन का काम सीख रहे थे तब बहुत सीमित संसाधनों में काम करना पड़ता था। उस समय शूट और एडिटिंग के क्षेत्र में अगर देखें तो सीमित तकनीक के चलते कलाकारों को काफी परेशानी उठानी पड़ती थी। इसकी तुलना में अब तकनीकी विकास ने काफी परेशानियों को कम दिया है।

हर पल नवीन प्रयोग और नयी चीजों को सीखने को आतुर सोहन चौहान अब फिल्म निर्देशन की ओर कदम बढ़ाना चाहते हैं। उनके प्रशंसकों की भी यह इच्छा है कि वो फिल्म निर्देशन भी करें ताकि दर्शकों को उनके निर्देशन में बनी अच्छी फिल्में देखने को मिले।

About सुजाता देवराड़ी

सुजाता देवराड़ी मूलतः उत्तराखंड के चमोली जिला से हैं। सुजाता स्वतंत्र लेखन करती हैं। गढ़वाली, हिन्दी गीतों के बोल उन्होंने लिखे हैं। वह गायिका भी हैं और अब तक गढ़वाली, हिन्दी, जौनसारी भाषाओँ में उन्होंने गीतों को गाया है। सुजाता गुठलियाँ नाम से अपना एक ब्लॉग भी चलाती हैं।

View all posts by सुजाता देवराड़ी →