मायके की याद करती स्त्री के भावों को दर्शाता है गीत ‘उड़िजा चखुली’

बहुत सी यादों को संजोए है विवेक नौटियाल का गीत 'उडिज़ा चखुली'

शादी के बाद जब एक लड़की अपना मायका छोड़कर अपने ससुराल आती है तो अपने पुराने परिवेश को छोड़कर एक नए परिवेश में कदम रख रही होती है। वह खुद को ससुराल में ढाल जरूर लेती है पर मायके और वहाँ बिताए जीवन की यादें उसके मन में हमेशा रहती हैं। कई बार विवाहित महिलाएँ अपनी जिम्मेदारियों में इतनी व्यस्त हो जाती हैं कि चाहते हुए भी अपने मायके नहीं जा पाती हैं। ऐसे में मायके की याद टीस बनकर उनके मन में उठती रहती है।

इस दौरान उस लड़की के मन की जो स्थिति रहती है उसे चाँदनी एंटरप्राईजेज (Chandini Enterprises) के यूट्यूब चैनल पर हालिया रिलीज हुए गीत ‘उड़िजा चखुली’ (Udija Chakhuli) में बहुत खूबसूरती से दर्शाया गया है।

गीत के केंद्र में एक विवाहित स्त्री है जो कि चखुली यानी एक गौरैया से अपने दिल की बात करती हुई दिखती है। वह उसे उड़कर अपने मायके जाने को कह रही है ताकि उसकी मनस्थिति उसके मायके वालों को पता चल सके और वो उसकी याद खबर करने आ सकें।

गीत के बोल विवेक नौटियाल (Vivek Nautiyal) द्वारा लिखे गए हैं और इसे गाया भी उनके द्वारा गया गया है। सोहन चौहान (Sohan Chauhan) द्वारा इस गीत को निर्देशित किया गया है और सृष्टि रावत (Srishti Rawat) द्वारा विवाहित स्त्री का किरदार निभाया गया है। सृष्टि अपनी आदाकारी से उस युवती के मन के भावों को स्क्रीन पर लाने में सफल रही हैं। गीत का फिल्मांकन पौड़ी गढ़वाल के कोटि गाँव और उसके आस पास की जगहों में किया गया है।

गीत का संगीत पवन गुसाईं (Pawan Gusain)और राकेश भट्ट (Rakesh Bhatt) द्वारा तैयार किया गया है और सुभाष पांडे द्वारा इसकी रिदम दी गई है।

गीत न केवल एक विवाहित महिला के भावों को दर्शाता है बल्कि उसकी यादों के माध्यम से पहाड़ के जीवन और पहाड़ की संस्कृति की भी झलक देता है। साथ में यह गीत यह भी दिखाता है कि गाँव में आज भी बेटियाँ चैत के महीने में मायके से आने वाले समूँड़ (मायके से बेटी के लिए भेजी गई भेंट) का बेसब्री से इंतजार करती है।

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