दोस्तों चलचित्र सेंट्रल के पाठकों के लिए हम ‘साक्षात्कार’ कॉलम में ऐसी हस्तियों से आपकी मुलाकात करवाते हैं, जिन्होंने लम्बे संघर्ष के बाद अपनी एक पहचान बनाई है और जो दूसरों के लिए भी एक प्रेरणा बनी हैं। उनकी जीवन यात्रा, उनके फ़िल्मी कैरियर और उनके अपकमिंग प्रोजेक्ट्स को लेकर हम आपके लिए कई रोचक अपडेट लाते हैं।
इस बार हम आपकी मुलाकात करवाने जा रहे हैं मशहूर गायिका सुरभि सिंह से, जिनकी चर्चा आजकल अजय देवगन, संजय दत्त की फिल्म भुज दी प्राइड ऑफ़ इंडिया के एक गीत की वजह से हो रही है जिसे उन्होंने लिजेंड्री सिंगर शंकर महादेवन के साथ गाया है। जब सुरभि सिंह से मेरी बात हुई तो उन्होंने वाराणसी से लेकर मायानगरी तक पहुँचने की अपनी जर्नी के सन्दर्भ में बताया।
पहले तो सुरभि आपको भुज में गाना गाने के लिए बहुत बहुत मुबारकबाद, आपके लिए यह बड़ा ब्रेक है और यह मल्टी स्टारर सिनेमा है, आप कितनी उत्साहित हैं?
सच पूछिए तो मैं बेहद खुश हूँ और हद से ज्यादा उत्साहित हूँ। अजय देवगन, संजय दत्त जैसे सितारों की फिल्म भुज में मेरी आवाज होना मेरे लिए किसी बड़े सपने के सच होने का एहसास है।
सुरभि, हम आपके बैकग्राउंड के बारे में जानना चाहेंगे कि आप कहाँ से बिलोंग करती हैं और सिंगिंग का सफ़र आपने कैसे शुरू किया?
देखिये मैं वाराणसी से हूँ। पिता जी को संगीत और गाने का शौक रहा है। बचपन से ही मैं गा रही हूँ। स्कूल और कॉलेज में अपनी गायकी की प्रतिभा लोगों को दिखाने के बाद आकाशवाणी, दूरदर्शन पे प्रोग्राम किये। फिर स्टेज शोज़ में गाना शुरू किया। मुंबई २००५ में आई, कुछ वर्षों तक रीजनल गाने गाए। उसके बाद काफी संघर्ष के बाद बॉलीवुड में एंट्री मिली।
मुंबई में आपके स्ट्रगल के दिनों में किसने सबसे ज्यादा सपोर्ट किया?
मुंबई में तीन चार साल के संघर्ष के बाद मेरी मुलाकात बॉलीवुड के मशहूर गीतकार पंछी जालौनवी से हुई, जिन्होंने अनुभव सिन्हा के निर्देशन में बनी फिल्म दस के गाने लिखे थे। उनका लिखा गीत दस बहाने करके ले गए दिल मेरा फेवरेट गाना है। पंछी साहेब बड़े हेल्पिंग नेचर के हैं। पंछी साहेब ने कई लोगों से मेरी मुलाकात करवाई और बॉलीवुड में गाने की शुरुआत हुई। मैं पंछी जालौनवी की जिन्दगी भर आभारी रहूँगी। इन्होने मुझे काफी सपोर्ट किया। वह संगीतकारों से मिलवा कर कहते थे कि मैंने मिलवा दिया है आगे तुम्हारा टैलेंट है। इन्होने मुझे काफी प्रोत्साहित किया।
भुज से पहले आपने कई गाने गाए होंगे जिनका ज़िक्र आप करना चाहेंगी?
बप्पी लाहिरी के साथ भी मैंने गाने गाए हैं। ‘सावन आया’ सहित वेनस के कई अलबम गाए हैं। म्यूजिक कंपनी ऑडियो करी के लिए मैंने कई अलबम गाए हैं। लेकिन मेरे कैरियर के लिए सबसे बड़ी फिल्म है भुज।
फिल्म भुज में आपको गाने का कैसे मौका मिला?
इसके पीछे भी एक स्टोरी है जो आपको किसी फिल्म की कहानी जैसी लगेगी। भुज के संगीतकार अमर मोहिले से पंछी जालौनवी ने ही मुझे मिलवाया था। उन्हें किसी ऐसी फिमेल आवाज की जरुरत थी जो थोड़ी अलग लगे। अमर मोहिले को मैंने अपनी आवाज़ रिकॉर्ड कर के भेजी थी उन्हें मेरी आवाज़ पसंद आई। उन्होंने टी सीरिज के ओनर भूषण कुमार को मेरी आवाज भेजी उन्हें भी मेरी आवाज डिफ्रेंट लगी और इस तरह यह गाना मेरी आवाज में रिकॉर्ड हुआ। मैं संगीतकार अमर मोहिले की काफी शुक्रगुजार हूँ। साथ ही फिल्म भुज की पूरी टीम, निर्देशक और टी सीरिज का भी आभार कि उन्होंने मेरी आवाज को इस गाने में रखा।
इस गीत की सिचुएशन क्या है फिल्म में ?
फिल्म भुज में क्लाइमेक्स सीन होता है, जब सैनिक युद्ध पर जाते हैं तो वहां पूरी कास्ट गणेश भगवान की आरती करती है। इसी आरती को मैंने गाया है। भुज के इस गीत को लिखा है अभिलाष ने जिसे अमर मोहिले ने कम्पोज़ किया है। इसे मैंने लिजेंड्री सिंगर शंकर महादेवन के साथ मिलकर गाया है। जो मेरे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। अजय देवगन, संजय दत्त की फिल्म भुज दी प्राइड ऑफ़ इंडिया में गाना मेरे लिए किसी ड्रीम के पूरा होने जैसा जज्बा है। यह मेरी पिछली पन्द्रह सोहल वर्षों की लगातार मेहनत का फल है कि मैं आज इस मुकाम पर पहुँची हूँ। भुज मेरे गायकी के करियर के लिए एक वरदान है। मुझे ख़ुशी है कि सभी मेरी आवाज की सराहना कर रहे हैं।
आपकी फेवरेट सिंगर कौन हैं जिनसे आपने प्रेरणा ली हो?
मैंने बचपन से ही मुकेश, लता मंगेशकर, आशा भोंसले, अनूप जलोटा को खूब सुना है और सभी से कुछ सीखा है कुछ प्रेरणा ली है। मेरे पापा संगीत के बहुत शौक़ीन थे। वह इन तमाम सिंगर्स को सुनते थे और मैं भी सुनती थी। मैं सभी सिंगर्स को सुनती हूँ।
भुज के बाद हम आपको और किन प्रोजेक्ट्स में सुन सकेंगे?
कुछ और फिल्मों में भी मेरे गाने आ रहे हैं, लेकिन फिलहाल मैं आपको उनके विषय में बता नहीं सकती हूँ। लेकिन मैं अपने कैरियर ग्राफ से बेहद खुश हूँ और मुझे इस बात से उत्साहित हूँ कि मुझे अलग टाइप के गाने मिल रहे हैं।