अनुराधा निराला

अनुराधा निराला

परिचय:
अनुराधा निराला का पूरा नाम अनुराधा निराला कोठियाल है। शादी के बाद वे अनुराधा कोठियाल हो गईं थी। अनुराधा निराला ने गायन उस वक़्त से शुरू कर दिया था जब उत्तराखंड के लोग संगीत से ज्यादा रूबरू भी नहीं थे। उत्तराखंड के गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी के साथ उनका पहला गाना रिकार्ड हुआ था। अपने परिवार के सहयोग से ही अनुराधा निराला ने अपनी गायन शैली पर ध्यान दिया और उसे आगे बढ़ाने के लिए हर पुरजोर कोशिश की। अनुराधा निराला अपने पिताजी को अपना आदर्श मानती हैं। उनका कहना है कि दिल्ली में रहकर भी उनके पिताजी ने उन्हें अपनी बोली भाषा से जुड़े रहने और संगीत के प्रति अभिरुचि में उनकी हर संभव मदद की है। आज वो जो कुछ भी हैं उसका पूरा श्रेय वो अपने पिताजी और अपने गुरुजी को देती हैं।

बचपन:
अनुराधा निराला का जन्म 16 मार्च को उत्तराखंड में हुआ था। अनुराधा निराला को बचपन से ही संगीत में बहुत दिलचस्पी थी। शायद बहुत कम लोगों को पता होगा कि अनुराधा निराला ने अपने गायन की शुरुवात तब की थी जब वो बारहवीं कक्षा की छात्रा थीं । एक प्रोफेशनल सिंगर की तरह उन्होंने पहली बार बारहवीं में ही गाया था। अनुराधा निराला ने अपने संगीत की शिक्षा अपने गुरु शांति शर्मा से ली थी।

शिक्षा दिक्षा:
अनुराधा निराला संगीत और गायिकी के साथ साथ पढ़ाई लिखाई में भी खूब अव्वल थी। इसलिए उन्होंने अपने स्कूल की पढ़ाई के बाद सीधे एम. ए. म्यूजिक से ही करने का फैसला किया। पढ़ाई का शौक बचपन से ही होने के कारण उन्होंने अपनी मेहनत के चलते नेट की परीक्षा उत्तीर्ण की। आज वो बतौर प्रोफेसर दिल्ली विश्वविद्यालय में हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत का प्रशिक्षण देती हैं।

1998 में अनुराधा निराला ने सिंगिंग के बड़े प्लेटफॉर्म सारेगामा के लिए प्रतिभाग किया और वो पास भी हो गईं और सेमीफाइनल तक उन्होंने अपना गायन सफ़र पूरा किया। सारेगामा के सभी महानुभाव गुरुओं ने अनुराधा निराला की गायिकी की खूब प्रसंशा की।

करियर:
अनुराधा का कहना है कि अपनी लोकगायन संस्कृति की शुरुवात उन्होंने 1992 -1993 में ही शुरू कर दी थी। अनुराधा का पहला सॉन्ग “ज्यू त यन बवनु छ आज नाची नाचीकि” नरेंद्र सिंह नेगी के साथ दिल्ली में ही रिकार्ड हुआ था। यह गाना बाज़ार में खूब हिट हुआ था। लोगों ने अनुराधा निराला को इस गीत के साथ खूब सारा प्यार देकर खुले दिल से स्वीकार कर लिया।
उस दौर के लगभग सभी हिट सॉन्ग नरेंद्र सिंह नेगी और अनुराधा निराला की जुगलबंदी में ही सुनने को मिलते थे।

(अनुराधा निराला के गढ़वाली गीत )
उनके गाये गीत मुल-मुल केकु हैंसणी छे तू हे कुलैं की ड़ाळई,मालु गुर्यालों का बीच खीली और तेरी पिड़ा मा लोगों के बीच में विशेष रूप से प्रसिद्ध हुये थे। आज भी उनकी गायिकी निरंतर चलती जा रही है।

अनुराधा निराला एल्बम:
खुद (khud 1995)
चक्राचाल (chakrachaal-1996 )
दगड़या dagadya-1997)
जै धारी देवी (jai dhaari devi-1996)
वा ज्यून्याली रात ऐगे (wa junyali raat aege 2006)
ठंडों रे ठंडों(thando re thando 2004)
संध्या भजन (sandhya bhajan-1997)
मेरी गंगा होली त मैं (meri ganga holi ta main-2004)
टपकरा (tapkara -1999)
छिबड़ात( chibdaat- 1993)
नौ दुर्गा नरिणी ( nau durga narini-2006)
मेरी तेरी (meri teri-2005)
उडिगे उमा तेरी चुनरी (udige uma teri chunari -2006)
म्यारा मुलुके रीत (myara muluke reet-2001)
सयाली सुनीता (syali sunita -2007)
नया मोडेले गाड़ी ( naya modle gaadi-1998)
हौंसिया पराण (haunsiya paran 1998)
चूड़ी फूंदी (chudi fundi-1996)
किले बंधी भागरथी (kilei bandhi bhagrathi-2010)
घूमी ऐली पहाड़ ( ghoomi aili pahad-2006)
तिसालू पराण (tisalu paraan -2005)
माया की पिटारी (maaya ki pitaari-1998)
रोटी कु चक्कर (roti ku chakkar-1997)
उत्तरंजली (uttranjali -1998)
बिगरेली रूप और मखमली घागरी (Anuradha Nirala Bigrailu Roop Aur Makhmali Ghagri2006)

About सुजाता देवराड़ी

सुजाता देवराड़ी मूलतः उत्तराखंड के चमोली जिला से हैं। सुजाता स्वतंत्र लेखन करती हैं। गढ़वाली, हिन्दी गीतों के बोल उन्होंने लिखे हैं। वह गायिका भी हैं और अब तक गढ़वाली, हिन्दी, जौनसारी भाषाओँ में उन्होंने गीतों को गाया है। सुजाता गुठलियाँ नाम से अपना एक ब्लॉग भी चलाती हैं।

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