इंदर आर्य

इंदर आर्य बायोग्राफी

संक्षिप्त परिचय
मूल नाम: जितेन्द्र राम
लोकप्रिय नाम: इंदर आर्य
जन्म: 19 may 1989
जन्मस्थान: अल्मोड़ा जिले के दन्या स्थित बागपाली
शिक्षा: जी. आई. सी अल्मोड़ा स्कूल
पिता का नाम: फकीर राम
माता का नाम: हेमा देवी
व्यवसाय: हैड शैफ , गायिकी
यूट्यूब चैनल: इंदर आर्य ऑफिशियल

कब और कहाँ हुआ इंदर आर्या का जन्म?

इंदर आर्य का जन्म 19 मई 1989 को अल्मोड़ा जिले के दन्या स्थित बागपाली गाँव में हुआ। बचपन की अल्हड़ मस्ती का आनंद इंदर आर्य ने अपने गाँव में ही लिया। कहा जाता है कि बचपन आपको आपके सपनों की पहली सीढ़ी की तरफ संकेत दे देता है। यही इंदर आर्य के साथ भी हुआ वो बचपन से ही गुनगुनाने का शौकीन थे। कभी दोस्तों की भीड़ में तो कभी स्कूल की छोटे- छोटे प्रोग्रामों में। इंदर की माँ का नाम हेमा देवी है जो एक घरेलू महिला हैं और इनके पिता का नाम फकीर राम हैं। [inder arya birth and family]

स्कूली शिक्षा के साथ साथ जुड़ता गया गायिकी से लगाव

इंदर आर्य ने अपने गॉंव के ही पास वाले स्कूल से ही अपनी पढ़ाई लिखाई की। फिर उन्होंने जी. आई. सी. अल्मोड़ा स्कूल में दसवीं और बारहवीं की पढ़ाई पूरी की और उसके बाद उन्होंने एच. एम. कर होटल लाइन को अपना व्यवसाय चुन लिया। आज इंदर आर्य एक लोकप्रिय गायक होने के साथ-साथ एक कुशल शैफ भी हैं और चंडीगढ़ में नौकरी करते हैं। इंदर आर्य को अपने स्कूली शिक्षा के दौरान ही आभास हो गया था कि उन्हें गायिकी से लगाव होता जा रहा है। उन्होंने अपनी गायिकी को उजागर करने के बहुत प्रयास किये। स्कूलों में हर सांस्कृतिक समारोहों में प्रतिभाग किया मगर तब भी उन्हें आगे जाकर कोई मंच नहीं मिला। इंदर आर्य के अंदर अपने गायिकी के प्रति जुनून ने उन्हें हमेशा सब्र करने के लिए बाँधे रखा और जब सोशल मीडिया ने कलाकारों को मंच की तरह उसे इस्तेमाल करने का माध्यम दिया तो इंदर ने भी अपनी कला का प्रदर्शन फेसबूक और यूट्यूब के माध्यम से शुरू किया।

कैसे शुरुवात हुई इंदर आर्य के गायन सफर की?

आज के जाने माने युवा लोक गायक इंदर आर्य अपने गीतों को लेकर काफी चर्चाओं में रहते हैं। उनके गाये गीत दर्शकों को के दिल में जगह बनाने में कामयाब भी रहे हैं। इनके गीतों में सादगी और मस्त मौलापन साफ-साफ झलकता है। गायिकी में आज मिली सफलता की शुरुवात भी कहीं ना कहीं से तो हुई होगी तो इसका सबसे बड़ा कारण था उनके मन की कसक, एक जुनून पहाड़ी गायक बनने का और एक जिद अपनी प्रतिभा को उजागर करने की। पैसों की कमी के चलते उनका ये जुनून उन्हें नौकरी की तरफ ले गया क्योंकि कुछ कमाकर अपने दम पर अपने आपको निखारने की उनकी एक और जिद बन गई। इसी के चलते अपनी पढ़ाई के बाद इंदर आर्य नौकरी की तलाश में चंडीगढ़ चले गये जहां उन्होंने रोजगार के लिए होटल इंडस्ट्री में कदम रखा। बस फिर क्या था, यहीं से शुरू हो गया, उनके सपनों का सच होने का सफर।

कौन सा था पहला कुमाऊँनी गीत?

लोकगायक इंदर आर्य बताते हैं कि वो अक्सर काम के दौरान पहाड़ी गीतों को गुनगुनाया करते थे। या कभी काम से फ्री हो गाये तो दोस्तों के साथ मस्ती-मस्ती में गा लिया करते थे। ऐसे में उनके साथियों ने उन्हें अपनी भाषा कुमाऊँनी गीत गाने की सलाह दी और उनके आवाज को पहचानकर उनका उत्साह भी बढ़ाया। लंबे समय से जो लालसा मन में थी उसे दोस्तों ने फिर सुलगा दिया फिर क्या था, काफी कहने के बाद इंदर ने भी अपनी शुरुवात के लिए हामी भर ली। इसके बाद लोकगायक ‘आंनद कोरंगा’ ने उनको स्टूडियों तक लाने में उनकी मदद की और आखिर इंदर आर्य ने अपना पहला गीत 15 अगस्त 2018 को रिकॉर्ड कर ही लिया। इस गीत का नाम था ‘पुष्पा’। कहा जाता है कि उन्होंने अपना यह पहला गीत अपनी पत्नी पुष्पा के नाम पर गाया जिसे लोगों ने खूब पसंद किया। इसके बाद इंदर आर्य ने एक दो गीत गाये और फिर दर्शकों से मिल रहे प्यार के चलते अपने आपको कभी पीछे नहीं हटने दिया। [inder arya first song]

वो पहला सुपरहिट गीत, जिसने उनको बनाया बेहतरीन कुमाऊँनी सिंगिंग स्टार

यूँ तो गायन इंदर आर्य कि रग-रग में बसा हुआ है लेकिन हर जुनून का एक सही वक्त होता है जो कभी भी आपको किसी भी वक्त सफलता के रूप में मिल जाता है। इंदर आर्य ने अपना गायन नहीं छोड़ा और उनकी मेहनत ने ज्यादा देर उन्हें सफलता के दूर नहीं रखा और आखिर वो दिन या ही गया जिस दिन इंदर आर्य का सॉन्ग ‘तेरो लहंगा’ रिलीज हुआ। सितंबर 2018 को ये गीत रिलीज होते ही हफ्ते भर के अंदर ऐसा धमाल मचा गया कि न लोगों कि जबान इसे गाते थकी न लोगों के पैर इसपे थिरकने से खुद को रोक पाए। 26 सितंबर को ये कुमाऊँनी गीत ऐसा रिलीज हुआ कि बच्चे-बच्चे कि जुबान पर ये इस गीत का रंग चढ़ गया। 2018 से लेकर 2020 तक हर शादियों कि शान बना रहा ये गीत। यही वो गीत बन गया जिसने इंदर आर्य को एक गायक से एक सिंगिंग स्टार बना दिया। इस गाने कि सफलता ऐसी रही कि इंदर आर्य ने ही इसके 3 पार्ट और निकाल दिए। [inder arya first hit song]

इंदर आर्य के ये गीत पहुँचे करोड़ों के पार

ये बात सच है कि तेरो लहँगा इंदर आर्य का सबसे हिट गीत रहा है मगर इसके आलवा भी उनके कुछ गीत ऐसे हैं जिन्होंने यूट्यूब पर लोगों का प्यार करोड़ों की संख्या में हासिल किया है। लहँगा ने उनके गायन करियर को एक बड़ी ऊँचाई पर पहुँचाया है।

लगातार आ रहे डीजे सॉन्ग के चलते इंदर आर्य ने एक अच्छा काम ये किया कि अपनी आवाज में वेरिएशन लाने के लिए झट से एक बहुत ही मधुर गीत रिलीज कर दिया। गीत अच्छा था फैसला अच्छा था और रिस्पॉन्स वो तो हम सब जानते हैं कि कितना अच्छा था। यह गीत था बोल हीरा बोल। गीत एक रोमांटिक सॉन्ग है जिसमें एक प्रेमी अपनी रूठी प्रेमिका को गीत के द्वारा मना रहा है। यह गीत लोगों को इतना पसंद आया कि उहोने इसे दो करोड़ के करीब व्यूज दिये हैं।


इंदर आर्य के गीतों कि एक खासियत से हममें से कई लोग वाकिफ हैं और वो है इनके गीतों का संगीत। अशीम मंगोली इनके हर गीत का संगीत तैयार करते हैं। इसके पीछे कारण दो हैं एक तो उनके पहले हिट सॉन्ग का संगीत अशीम मंगोली ने दिया था और दूसरा कि इंदर आर्य और अशीम मंगोली दोनों चडीगढ़ रहते हैं। मंगोली साब का स्टूडियो और घर दोनों चंडीगढ़ है और इंदर आर्य की नौकरी चंडीगढ़ है। इस तरह दोनों को आसानी हो जाती है एक दूसरे के साथ कनेक्ट करने में। इस बात का जिक्र यहाँ इसलिए भी किया गया क्योंकि अब तक जितने गानों की बात ऊपर हुई है सबका संगीत अशीम मंगोली ने दिया है, मगर अगला जो सॉन्ग इंदर आर्य के करोड़ी लिस्ट में शामिल है उसका संगीत रंजीत सिंह ने दिया है। इसके पीछे कारण यह भी है ये सॉन्ग इंदर आर्य के चैनल से नहीं बल्कि चाँदनी इंटरप्राइज से रिलीज हुआ था। अमूमन यही होता है की इंदर आर्य के चैनल से जो भी सॉन्ग रिलीज होता है वो मंगोली साब का ही होता है।

इंदर आर्य के अपकमिंग प्रोजेक्ट्स

हमने देखा है जब कोई हिट फिल्म रिलीज होती है उसका या तो सीक्वेल बनता है या उसी नाम से पार्ट 2 पार्ट 3 निकाला जाता है। ये सिलसिला पहले फिल्मों में दोहराया जाता था फिर हिन्दी गीतों में और अब आलम यह है कि पहाड़ों में भी ये चलन आम हो गया है। इसी चलन के चलते कहें या सफलता के चलते इंदर आर्य भी इस लिस्ट में शामिल हो चुके हैं। लहंगा सीरीज को 3 पार्ट्स में गाकर अब इंदर आर्य अपने गीत लहंगा 4 और लहंगा 5 की तैयारी कर रहे हैं। यही नहीं वो बोल हीरा बोल पार्ट 2 और पहाड़ बसी जौलो पार्ट 2 को भी बनाने का प्लान कर रहे हैं।

इंदर आर्य के अब तक रिलीज हुए गीत

  1. तेरो लहंगा (Tero Lehnga)
  2. हिट मधुली (Hit Madhuli)
  3. मेरी भानुली (Meri Bhanuli)
  4. लहँगा 2 ( Lehnga 2)
  5. लहँगा 3 ( Lehnga 3)
  6. बोल हीरा बोल (Bol Heera Bol)
  7. पनार की बाना (Panar Ki Bana)
  8. फोटो तेरी (Photo Teri)
  9. मेरी जोग्यानी (Meri Jyogyani)
  10. हफ्ते में इतवार (Hafte Mein Itwar)
  11. मेकअप (Makeup)
  12. पहाड़ों में ठुमका (Paharon Mein Thumka)
  13. रंगीली भौजी (Rangeeli Bhauji)
  14. दुपट्टा (Dupatta )
  15. काजल कु टिकू (Kajal Ku Tiku)
  16. रॉयल गाड़ी मा (Royal Gadi Ma)
  17. मैं बजु मुरुली (Main Baju Muruli)
  18. मैं तेरो फौजी (Main Tero Fauji)
  19. पुष्पा (Pushpa)
  20. कुमाऊँ गढ़वाल (Kumaon Garhwal)
  21. मेरी रूपसी (Meri Rupasi)
  22. कॉलेज का दिन छना (Collage Ka Din Chana)
  23. जींस वाली छोरी (Jeans Wali Chori)
  24. पीसी नूँण (Peesi Noon)
  25. स्कूलो साथ (Schoolo Saath)
  26. शहनाई (Shehnai)
  27. मेरी पुष्पा बाना (Meri Pushpa Bana)
  28. अल्मोड़ा की रुनी चनारा (Almora Ki Chanara)

ये थी इंदर आर्य के जीवन से जुड़ी एक छोटी सी जीवनी जिसमें हमने कोशिश की है की है कि उनके जीवन से जुड़े, उनके सपनों से जुड़े, उनके करियर से जुड़े कुछ छोटे-छोटे हिस्से को समेट कर आपके समक्ष पेश करने की। उनके संगीतमय सफर की रोचक कहानी को आप तक पहुंचाने की। उम्मीद करते हैं की हमारी ये कोशिश आपको पसंद आई होगी और बहुत कुछ आपने जाना भी होगा।


अगर आप भी इंदर आर्य से जुड़ी कुछ बातें जानते हो जो आपको लगता है कि उनके चाहने वालों तक पहुँचनी चाहिए तो कमेन्ट करके जरूर बताएँ। हम उसे जरूर पाठकों तक पहुँचाएंगे

About सुजाता देवराड़ी

सुजाता देवराड़ी मूलतः उत्तराखंड के चमोली जिला से हैं। सुजाता स्वतंत्र लेखन करती हैं। गढ़वाली, हिन्दी गीतों के बोल उन्होंने लिखे हैं। वह गायिका भी हैं और अब तक गढ़वाली, हिन्दी, जौनसारी भाषाओँ में उन्होंने गीतों को गाया है। सुजाता गुठलियाँ नाम से अपना एक ब्लॉग भी चलाती हैं।

View all posts by सुजाता देवराड़ी →

Leave a Reply