कल्पना चौहान संक्षिप्त परिचय
जन्म: 8 सितंबर 1967 मुंबई
पिता: श्री उमेन्द्र सिंह
माता: श्रीमती रूपा देवी
पति: श्री राजेन्द्र सिंह चौहान
व्यवसाय: लोक गायिका
परिचय:
उत्तराखंड की स्वर कोकिला कल्पना चौहान का जन्म 8 सितम्बर1967 को मुंबई शहर में हुआ। बचपन मुंबई शहर में बीतने के बावजूद भी कल्पना चौहान अपनी पहाड़ी भाषा को बहुत अच्छे से बोल और समझ लेती थी। उनका कहना था कि परिवार में उनके माता पिता हमेशा आपस में गढ़वाली भाषा में ही वार्तालाप किया करते थे जिस कारण हमें भी धीरे धीरे अपनी भाषा का अनुभव होने लगा। कल्पना चौहान के पिताजी गढ़वाल मण्डल के अध्यक्ष थे जिस कारण से पारिवारिक माहौल पहाड़ी ही रहा। कल्पना का कहना है कि उन्होंने अपने दोनों बच्चों को भी अपनी पहाड़ी भाषा बोलनी सिखाई है। बहुत साल पहले उनके पिताजी का स्वर्गवास हो गया था।
करियर:
जब कल्पना चौहान 15 साल की थी तब उन्होंने पहली बार एक प्रोग्राम में बॉलीवुड के मशहूर गायक उदित नारायण के साथ एक पहाड़ी गाने पर अपनी प्रस्तुति दी थी। ये बात भी सच है कि उसके बाद भी कल्पना चौहान ने संगीत की कोई शिक्षा नहीं ली और फिर उनकी शादी हो गई। कोटद्वार में राजेन्द्र चौहान से कल्पना चौहान की शादी हो गई और वो अपने गृहस्थ जीवन में व्यस्त हो गई। राजेन्द्र चौहान ने कल्पना चौहान की प्रतिभा को परखा और उन्हें पूर्ण रूप से अपनी गायिकी के प्रति संजीदा होने को कहा। अपने पति के आग्रह और साथ के चलते कल्पना ने एक एल्बम निकाल दी। उसके बाद उनकी एक और एल्बम ‘स्वामी परदेस मा’ काफी लोकप्रिय हुई। कल्पना चौहान को कामयाबी मिलती गई। उसी दौरान आई उनकी एक और एल्बम ‘बरमासा’ ने उन्हें उत्तराखंड की स्टार बना दिया। फिर क्या था कल्पना चौहान अपने संगीतमय सफर की एक से एक हिट गाने देकर शानदार पारी खेलती गई।
गृहस्थ जीवन:
कल्पना चौहान के दो बेटे हैं। पहला बेटा तो मुंबई में ही सिनेमेटोग्राफर है और दूसरा छोटा बेटा कल्पना चौहान के साथ बचपन से ही गाता आ रहा है। आज रोहित चौहान युवा दिलों की धड़कन और पहाड़ी गानों की जान बन चुका है। पति राजेन्द्र चौहान भी पेशे से एक बहुत बड़े म्यूजिक डायरेक्टर हैं। कल्पना चौहान और राजेन्द्र चौहान का प्रेम विवाह हुआ था। राजेन्द्र चौहान के सहयोग से ही कल्पना चौहान को अपनी आवाज़ का जादू लोगों तक पहुँचाने का मौका मिला था।
कल्पना चौहान के जीवन में आया दुखद मौड़
कल्पना चौहान की ज़िंदगी बहुत सुकून और संगीत से सराबोर अच्छी चल रही थी कि अचानक उनकी खुशियों को जाने किसकी नज़र लग गई। कुछ साल पहले कल्पना चौहान किसी प्रोग्राम से घर के लिए जा रही थी और एक भयानक दुर्घटना में उन्होंने अपना एक पैर खो दिया। इस दर्द से कल्पना चौहान पूरी तरह आहत हो गई थी। इतने बड़े आघात ने उन्हें अंदर से तोड़ मरोड़ कर रख दिया था मगर वो कहती हैं कि उनका परिवार उनकी सबसे बड़ी शक्ति हैं जिन्होंने कभी कल्पना को उनके दर्द का एहसास नहीं होने दिया और कल्पना को मजबूती और हिम्मत देकर उन्हें फिर खड़ा किया। उनके जज्बे को सलाम है उन्होंने कई ऐसे लोगों को प्रेरणा दी जो अपने शरीर के कुछ हिस्सों को खोकर जीने की आस ही खत्म कर देते हैं।
सम्मान:
कल्पना चौहान को उनकी गायिकी के लिए पौड़ी गढ़वाल के एक क्षेत्र चोंदकोट ने उनको उत्तराखंड चोंदकोट रत्न से नवाजा है।
उत्तराखंड महासभा ने उन्हें स्वर कोकिला की पदवी से सम्मानित किया है।
हिन्दी फिल्मी गीतों का सफ़र:
कल्पना चौहान पहाड़ की स्वर कोकिला होने के साथ साथ अपनी आवाज़ का जादू हिन्दी फिल्मों में भी चला चुकी हैं। उन्होंने 6 हिन्दी फिल्मों में अपनी आवाज़ दी है।
3 बैचलर्स(2012), लाइफ एक्स्प्रेस(2010), नक्षत्र(2010), नो प्रॉब्लम(2010 ), बिल्लू बार्बर(2009) और एक से बुरे दो(2009)
कल्पना चौहान के गाए सुपरहिट गीत:
तेरा प्यार साबू
सुआ दूर ना जा
लागि बडूली
सूरत नंदन तेरी
मेरे दिल ने
छोरी तेरे रूप
ह्युंद का दिना
मेरी श्याम की नगरी सजी
बाँद सुसमा
कमर पे चोटी
ताला रे ताला
टीपड़ा मिलीगे
जोगीदा सारा रा रा
फाल्गुन में पुआ
सारा फाल्गुन चला गया
नीलिमा नीलिमा
माया लगी रे ओ पूजा
कुरता टेरू चिट लाल
छोरी ऊटपटाँग
ऐगे होली
ठंडों पाणी
बाजी मुरुली घमा