मीना राणा संक्षिप्त परिचय
जन्म: 24 मई 1975
जन्मस्थान: दिल्ली
शिक्षा: बटलर मेमोरियल गर्ल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल दिल्ली
विवाह: 1 दिसंबर-2001
व्यवसाय: गायन
परिचय:
24 मई 1975 को मीना राणा का जन्म दिल्ली में हुआ। उनकी शुरूआती शिक्षा दिल्ली के बटलर मेमोरियल गर्ल्स सीनियर सेकंड्री स्कूल में हुई। इसके बाद वह अपनी बड़ी बहन उमा के साथ मसूरी चली गईं। बाकी की पढ़ाई मसूरी इंटर कॉलेज से पूरी करने बाद उन्होंने अपना ग्रेजुएशन दिल्ली से पूरा किया। उसके कुछ समय बाद उनकी शादी 1 दिसम्बर 2001 को संजय कुमौला से हो गई और मीना शादी के बाद फिर से दिल्ली शिफ्ट हो गई। उत्तराखंड में संजय कुमोला एक अच्छे संगीतकार के रूप में जाने जाते हैं। इसी संगीत की वजह से मीना राणा भी संगीत से जुड़ती चली गई। उनकी दो बेटियाँ सुरभि और परी हैं।
अपनी सुमधुर आवाज के कारण मीना राणा को उत्तराखंड की स्वर कोकिला और पहाड़ी गीतों की लता मंगेशकर भी कहा जाता है।
कैसे हुई मीना राणा के गायन की शुरुआत ?
ये सच है कि मीना राणा ने कभी भी कहीं से संगीत की कोई ट्रेनिंग नहीं ली है। हाँ, वो बचपन से ही लता मंगेशकर के गाने सुनती थी। उन्हें संगीत से लगाव पहले से ही था इसलिए जब भी वो लता जी के गाने सुनती फिर वही गाने गुनगुनाने लगती थी। गुनगुनाने का ये सिलसिला कब गाने में बदल गया उन्हें भी पता नहीं चला। सबसे बड़ी बात कि जब मीना ने पहली बार बाहर गायन शुरू किया तो उन्होनें लता जी का ही गीत ‘नैनों में बदिरा छाए’ गाया था। ये गीत उन्होंने मसूरी आकाशवाणी क्लब में गाया था और उस समय इनकी उम्र मात्र 16 साल की थी। मुकेश कुमौला, जो कि इनके रिश्तेदार हैं, उस समय इस क्लब के प्रेजिडेंट थे जिसकी वजह से उनको यहाँ गाने का अवसर प्राप्त हुआ। मीना उस समय पहाड़ी गीतों में पारंगत नहीं थी लेकिन उनका ये गीत वहाँ मौजूद सभी को बहुत पसंद आया और वहाँ मीडिया ने भी इनकी आवाज़ की बहुत सराहना की। इस प्रोग्राम के बाद श्री राम लाल, जो उनकी बहन के पति हैं और संगीत क्षेत्र से जुड़े हुए हैं, ने मीना को अपने लिए एक गीत गाने का अनुरोध किया। उनके अनुरोध पर 1991 में मीना ने अपने करियर का पहला गीत दिल्ली आकार रिकार्ड किया। ये ब्रेक उनको गढ़वाली फिल्म ‘नौनी पिछाड़ी नौनी’ के लिए मिला था। इस फिल्म में इन्होंने तीन गाने गाए। सुनकर बड़ी हैरानी होती है कि जब मीना राणा को यह ब्रेक मिला था तब वह हाईस्कूल में थी। उसके बाद से मीना ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्हें मौके मिलते गये और वो आगे बढ़ती गईं।
मीना ने न केवल भारत में अपनी आवाज़ का परचम लहराया है बल्कि उन्होंने कई बार विदेशी धरती पर भी अपने उत्तराखंडी गीतों को पहुँचाया है। ओमान, यूएई और ऑस्ट्रेलिया जैसे बड़े देशों में मीना राणा के पहाड़ी गीतों की गूँज सुनाई पड़ी है।
किन किन भाषाओं में मीना राणा अपनी आवाज़ दी है?
मीना राणा ने अपने करियर में गढ़वाली के अलावा भी बहुत सी अन्य भाषाओं में आपनी आवाज़ दी है। उन्होंने कुमाऊँनी, जोनसारी, जोनपुरी, हिमांचली, हिन्दी, राजस्थानी, कारगली, बालटी और भोजपुरी,लद्दाखी जैसी भाषाओं में भी गाया है।
मीना राणा उत्तराखंड की पहली महिला गायिका है जिनके नाम 500 से भी ज्यादा लद्दाखी गीतों का रिकार्ड है।
पुरस्कार (Award)
यंग उत्तराखंड सिने अवॉर्ड में मीना राणा को छः बार नॉमिनेट किया गया, जिनमें से तीन अवॉर्ड उन्होंने अपने नाम हासिल किये।
- 2010 में पहली बार उन्हें गीत ‘पल्या गौं का मोहना’ के लिए बेस्ट फ़ीमेल सिंगर के उत्तराखंड सिने अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।
- ‘औ बुलाऊँ यो पहाड़ा’ गीत के लिए उन्हें 2011 में बेस्ट फ़ीमेल सिंगर का अवॉर्ड दिया गया।
- 2 012 में ‘हम उत्तराखंडी छं’ गीत के लिए उन्हें यंग उत्तराखंडी सिने अवॉर्डसे पुरस्कृत किया गया।
इसके आलवा भी उन्होंने उत्तराखंड के कई आवर्ड अपने नाम किये हैं।
प्रसिद्ध एल्बम (Popular Albumn) –
तारों माँ, मेरी खट्टी मीठी,दरबार निराला साईं का, उत्तराखंडी गढ़वाली तेरी मेरी माया वोल 14, मेरु उत्तराखंड, चिलबिलाट मोहना, लौंडा चंदरा।
मीना राणा के प्रसिद्ध गीत (Meena Rana’s hit songs):
माछी पाणी सी, घूघूति घूरोण लैगी म्यारा मैत की,ओटूवा बेलेणा, तुम्हारि माया मा, तेरी पीड़ा मा
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