कलात्मकता के साथ मनोरंजन को साथ लेकर चलने की कोशिश है किसानियत: अजय सिंह

किसानियत - वेब सीरीज

अजय सिंह पिछले कई वर्षों से मुंबई में लेखन कर रहे हैं। ‘अगले जन्म मोहे बिटिया ही कीजो’ से धारावाहिक लेखन की शुरुआत करने वाले अजय सिंह ने ‘आहट’, ‘सीआईडी’ जैसे लोकप्रिय धरवाहिकों के लिए लेखन कार्य भी किया है। अब वह निर्माता के तौर पर अपनी नई पारी शुरू कर रहे हैं। उनके द्वारा निर्मित पहली वेबसीरीज ‘किसानियत’ हाल ही में रिलीज हुई है। ‘किसानियत’ एक युवक के गाँव लौटकर कुछ कर दिखाने की इच्छा की कहानी है। उनके लेखक से प्रडूसर बनने के सफर और अपनी वेबसीरीज पर उन्होंने चलचित्र सेंट्रल से बातचीत की है।

अजय सिंह

प्रश्न: नमस्कार अजय जी, सर्वप्रथम तो नई वेबसीरीज के लिए आपको और पूरी टीम को हार्दिक बधाई। किसानियत का विचार कैसे बना?

उत्तर: एक ऐसी वेब सिरीज़ बनाने का मन था जो कलात्मक हो, मनोरंजक हो और जिसमें कुछ कहने लायक़ हो। इस ख्वाहिश के साथ किसानियत बनाने का सफ़र शुरू हुआ था।

प्रश्न: आप लेखक के तौर पर कई धारावाहिकों से जुड़े हैं। इस वेब सीरीज में आप बतौर प्रोड्यूसर जुड़े हैं। ये दोनों अनुभव किस तरह भिन्न हैं।

उत्तर: लेखक कहानियाँ लिखता है और उसको कहानियों का प्रड्यूसर (producer) कह सकते हैं। मगर उस कहानी को पूर्ण रूप से बनाने, रिलीज़ करने और व्यावसायिक फ़ायदा बनाने का काम निर्माता का होता है। मेरे लिए निर्माता बनने पर कार्य बढ़ गया, मगर यह करना ज़रूरी भी था ताकि मैं अपने कैरियर को आगे बढ़ाऊँ। यह एक तरह से नया पड़ाव है जिसने मुझे काफी कुछ सिखाया है। मेरे लिए बहुत मज़ेदार रहा काग़ज़ पर लिखे हर शब्द को पर्दे पर उतारने की क़ीमत का आँकलन समझना और तमाम तरह के जद्दोजहद से गुजर कर वेब सिरीज़ निर्माण को पूर्ण करना। मैं एक लेखक के रूप में हमेशा आख़िरी मौक़े तक कहानी और उसके संवाद को सही करता रहता हूँ। प्रड्यूसर बनने पर भी कई बार मन होता की मैं सेट पर रहूँ और कहानी में बदलाव करता रहूँ पर यह बहुत नहीं कर पाया। अच्छी बात यह थी की आदित्य, जो एक बढ़िया लेखक हैं, उन्होंने जिम्मेदारीपूर्वक साथ दिया और कहानी अच्छी गढ़ी।

प्रश्न: किसानियत एक व्यक्ति के गाँव लौटकर आने की कहानी है। पिछले कुछ एक दशक से गाँव स्क्रीन से दूर सा हो गया था। अब गाँव वापिस लौट कर आया है। फिल्मो में दिखाए जाने वाले पहले के गाँव और किसानियत के गाँव में क्या फर्क है? आपको खुद गाँव में कुछ फर्क महसूस होता है?

उत्तर: किसानियत का गाँव वह गाँव है जहाँ मैं रहना चाहता हूँ। यह ऐसा गाँव है जहाँ रिश्तेदार और परिवार हैं, हरियाली है, सम्पन्नता है। जबकि अधिकतर फ़िल्मों के गाँव देखकर ऐसा लगता है की गाँव में बहुत ग़रीबी, अशिक्षा और कष्ट है, मगर मैं ऐसा नहीं मानता और ना किसानियत में ऐसा गाँव दिखाया गया है। मैं गाँव जाकर आत्मिक सुकून में रहता हूँ।

प्रश्न: कोरोना के दौरान कई लोग गाँव लौटने को मजबूर हुए थे। यह उल्टा पलायन मजबूरी वश था। वहीं किसानियत एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जो खुद गाँव लौटकर आता है? आप इस तरह की स्थिति को कैसे देखते हैं? क्या कोरोना के बाद ऐसे युवकों की संख्या में इजाफा होगा?

उत्तर: कोरोना के बाद वर्क फ्रॉम होम के कारण बहुत से युवा गाँव, अपने घर को लौटे हैं और शायद यह संख्या और बढ़े। बहुत से लड़कों से मिला जो अपने गाँव लौटकर अपना बढ़िया व्यवसाय कर रहे हैं और ऐसा होना भी चाहिये। हम नई तकनीक सीख कर अपने प्रदेश लौट जाएँ, वहाँ बढ़ियाँ काम करें, व्यवसाय शुरू करें और अपनी सीखी कला दूसरों को सिखायें। ऐसे ही विकास हो सकता है।

प्रश्न: धारावाहिक की शूटिंग को लेकर आपके क्या अनुभव थे? कोरोना के चलते क्या इनमें कोई परेशानियाँ आई?

उत्तर: कोरोना ने बहुत परेशान नहीं किया । शूटिंग के दौरान बहुत नयें लोगों से मिलना हुआ, उनका साथ मिला और यह सब एक सुखद अनुभव था। एक नया कार्य था और बहुत पैसे लग रहे थे तो टेन्शन काफ़ी था। कुछ कलाकारों ने हल्के में लेकर परेशानियाँ उत्पन्न की मगर अंत में सभी सही हो गया और आज वेब सिरीज़ आपके सामने है। उत्तर प्रदेश के सरकारी विभाग का बहुत बड़ा योगदान रहा जिन्होंने लोकेशन मुहैया करवा दिए और हर सम्भव मदद करते रहे। मुंबई के मेरे मित्र प्रभात ठाकुर जो खुद जाने माने आर्ट डिरेक्टर हैं उनके साथ काम करने का मौक़ा मिला। १५ क्रीएटिव लोगों को एक सपने की तरफ़ प्रोत्साहित करना और सेम पेज पर रख पाने का अनुभव सबसे सुखद रहा। किसी शुभ कार्य में बाधा ना पड़े, यह इंतज़ाम मैं कर सकता हूँ, खुद के ऊपर मेरा विश्वास बढ़ गया।

किसानियत की टीम

प्रश्न: धारावाहिक के मुख्य पात्रों को निभाने वाले कलाकारों के विषय में कुछ बताएँ?

उत्तर: रवीश और अक्षय मुख्य कलाकार लखनऊ से हैं और बहुत मेहनती लड़के हैं। उन्होंने हमेशा साथ दिया । अलीना मुंबई की कलाकार थी और उन्होंने भी ऐन मौक़े पर साथ दिया क्यूँकि पहले वो हीरोइन नहीं थी। पहले वाली हीरोइन के साथ तारतम्य जम नहीं पा रहा था और इसलिए प्रोजेक्ट से उन्हे अलग करना पड़ा। तब अलीना ने ऐन मौक़े पर आकर किरदार को सम्भाला। सुनील जी, नूर जी, लखनऊ कानपुर के कलाकार हैं जिन्होंने बहुत बेहतर काम किया। अनुज आईआईटी कानपुर का मेरा जूनियर है और उसने भी अपना रोल बहुत शानदार किया।

धारावाहिक के स्टिल
धारवाहिक के कुछ स्टिल
धारवाहिक का स्टिल

प्रश्न: आपके आने वाले प्रोजेक्ट्स, लेखक के तौर पर और प्रोड्यूसर के तौर पर, कौन से हैं?

उत्तर: अभी हम लोग एक हॉरर वेब सिरीज़ बना रहे हैं, जिसका १ एपिसोड शूट हो गया है और बाक़ी एपिसोड शूट करने है मार्च महीने में। कोशिश है २०२२ में कुछ और प्रोजेक्ट कर पाऊँ – २ सब्जेक्ट बहुत इंट्रेस्टिंग हैं पौराणिक (मायथोलाजिकल) और ऐतिहासिक (हिस्टोरीकल)। भगवान से प्रार्थना है कि दर्शक किसानियत को प्यार दें, पसंद करें।

किसानियत का ट्रेलर

वेब सीरीज निम्न लिंक पर जाकर देखी जा सकती है:

किसानियत

About विकास नैनवाल 'अंजान'

विकास नैनवाल पेशे से सॉफ्टवेर इंजिनियर हैं। अलग अलग तरह के विषयों पर उन्हें लिखना पसंद है। एकबुकजर्नल और दुईबात नाम से वह अपने व्यक्तिगत ब्लोगों का संचालन भी करते हैं।

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