जादुई फ़िल्म मेकर संजय लीला भंसाली की उत्कृष्ट फ़िल्म ‘देवदास'(Devdas) को रिलीज हुए 19 साल पूरे हो गए हैं लेकिन इस फ़िल्म का जादू आज भी बरकरार है। भारतीय सिनेमा के इतिहास में यह एक क्लासिक फ़िल्म के रूप में गिनी जाती है।
शरतचंद्र चट्टोपाध्याय की साहित्यिक कृति देवदास को भंसाली के सिनेमाई रूपांतरण ने आलोचकों और दर्शकों दोनों का दिल जीत लिया। फिल्म हर सिने-प्रेमी की पसंदीदा बनी हुई है। फ़िल्म का हर सीन एक सुंदर पेंटिंग जैसा दिखता है। शानदार सेट और बेहतरीन वेशभूषा ने इसे अपनी तरह की पहली फ़िल्म बना दिया।
शाहरुख खान, ऐश्वर्या राय बच्चन और माधुरी दीक्षित नेने अभिनीत, फिल्म ने अपनी मनोरंजक कहानी, भावपूर्ण संगीत और प्रभावी डायलॉग की वजह से दर्शकों के मन मस्तिष्क पर अमिट छाप छोड़ी है। उस समय की सबसे महंगी फिल्मों में से एक देवदास ने भंसाली के कुशल निर्देशन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।
आज इस खास फीचर में हम इस फ़िल्म से जुड़े कुछ दिलचस्प तथ्य आपको बताते हैं।
सलमान बनने वाले थे “देवदास”
क्या आप जानते हैं कि देवदास की भूमिका पहले सलमान खान को ऑफर की गई थी, लेकिन उन्होंने मना कर दिया और इस तरह, भूमिका अंततः शाहरुख खान के पास चली गई। निस्संदेह, शाहरुख ने देवदास में अपने करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दिया और 2002 में फिल्मफेयर का सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार जीता। गौरतलब है कि संजय लीला भंसाली की पहली फ़िल्म ‘खामोशी’ (Khamoshi) में सलमान खान थे, फिर ‘हम दिल दे चुके सनम’ (Hum Dil De Chuke Sanam) भी उन्हीं के साथ बनाई थी इसलिए सबसे पहले सलमान खान को देवदास पेश की गई थी। वेसे कहा जाए तो क्लासिक फिल्में हर किसी के नसीब में नहीं होती है।
जैकी श्रॉफ वाला रोल सैफ अली खान, गोविंदा को ऑफर हुआ था
देवदास में जैकी श्रॉफ ने चुन्नी लाल का बेहद महत्वपूर्ण और रोचक किरदार अदा किया था लेकिन क्या आपको मालूम है कि जैकी श्रॉफ को साइन करने से पहले चुन्नी लाल की भूमिका सैफ अली खान, गोविंदा और मनोज बाजपेयी को ऑफर की गई थी। फ़िल्म में जैकी श्रॉफ के संवाद बोलने का अंदाज लोगों को आज भी याद है। वह डायलॉग बोलते थे “च से चुन्नी बाबू…” तो पब्लिक खूब पसंद करती। फ़िल्म के 19 साल होने पर जैकी श्रॉफ ने बड़े दिलचस्प अंदाज में शाहरुख खान के साथ ‘देवदास’ के सेट से एक तस्वीर साझा की और अपने रोल के अनुसार ही लिखा-
‘आज सिर्फ य से याद नहीं, य से यकीन भी नहीं हो रहा 19 साल हो गए देवदास को! सभी बंधुओं का शुक्रिया, जो इस महागाथा में साथ थे।’
इससे पहले दिलीप कुमार देवदास बन इस किरदार को अमर चुके थे
मशहूर बंगाली साहित्यकार शरत चंद्र चट्टोपाध्याय के उपन्यास देवदास पर आधारित कई फिल्मे बन चुकी हैं। साल 1955 में आई देवदास में टाइटल रोल में दिलीप कुमार थे, चंद्रमुखी के रोल में विजंयतीमाला, सुचित्रा सेन पारो के रोल में दिखाई दी थीं। दिलीप साहब के इस किरदार ने उन्हें ना सिर्फ सम्मान दिलाया बल्कि उन्हें एक सर्वश्रेष्ठ अभिनेता की कुर्सी पर हमेशा के लिए कायम कर दिया। अगर इस फिल्म की रीमेक बनी है तो कहीं ना कहीं इस किरदार को अमर करने में दिलीप कुमार का हाथ है। साथ ही बिमल रॉय का भी जिन्होंने इस फिल्म के लिए दिलीप कुमार को चुना। भंसाली की देवदास में माधुरी दीक्षित ‘चंद्रमुखी’ के रोल में थीं। फिल्म के 19 वर्ष कम्प्लीट होने पर माधुरी दीक्षित ने सोशल मीडिया में दिलीप कुमार को श्रद्धांजलि दी।
कॉस्ट्यूम और सेट पर करोड़ों हुए थे ख़र्च
देवदास जैसे क्लासिक उपन्यास पर नए अंदाज में फ़िल्म बनाने के लिए संजय लीला भंसाली ने कई रिस्क उठाए थे। हिंदी सिनेमा में इतिहास रचने वाली इस फ़िल्म के गानों से लेकर फिल्म के कॉस्ट्यूम और इसके भव्य सेट की वजह से यह काफी महंगी फ़िल्म थी। बताया जाता है कि चंद्रमुखी के कोठे का शानदार सेट बनाने के लिए दस करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए गए थे वहीं पारो अर्थात ऐश्वर्या राय के लिए सैकड़ों साड़ियां खरीदी गई थीं। संजय लीला भंसाली हमेशा अपने सेट्स और कॉस्टयूम के लिए जाने जाते हैं। इस फिल्म में भी उन्होंने कोई कमी नहीं छोड़ी । एक अनुमान के अनुसार उस दौर में संजय लीला भंसाली ने देवदास पर 50 करोड़ रुपये से ज्यादा लगाए थे। सभी की मेहनत और हेवी बजट उस समय रंग लाया जब फ़िल्म रिलीज होते ही लोगों के दिलों को जीतने लगी और सभी की जुबान पर फिल्म के गाने और संवाद लहराने लगे। उस ज़माने में फ़िल्म ने लगभग 100 करोड़ का कारोबार किया था।
शाहरुख ने 19 साल बाद खोला रोचक राज़
शाहरुख खान ने देवदास का रोल अदा करने के लिए काफी मेहनत की। देव के किरदार में सच्चाई का रंग भरने के लिए वह धोती पहनकर लेट नाइट रिहर्सल करते थे। फिर भी धोती को संभालना उन्हें सबसे मुश्किल काम लगता था। फ़िल्म के 19 साल के सफर को याद करते हुए शाहरुख खान ने सोशल मीडिया पर फिल्म की शूटिंग की कुछ तस्वीरों को शेयर करते हुए लिखा-
‘कई सारी देर रातों…. तड़के सुबह…. मुश्किल और परेशानियाँ । ये सब अच्छे रहें, क्योंकि खूबसूरत माधुरी दीक्षित नेने साथ थीं। बेहतरीन ऐश्वर्या राय बच्चन, हमेशा हंसमुख जैकी श्रॉफ दादा, जीवन से भरपूर किरण खेर और पूरी टीम ने इसे मास्टरफुल और धैर्य रखने वाले संजय लीला भंसाली के साथ पूरा किया। एक ही समस्या थी… मेरी धोती बार-बार खुल के गिर जाती थी…!! प्यार देने के लिए सभी को धन्यवाद।’
जी हाँ उनकी धोती बार बार खुल जाती थी और वह इस वजह से अधिक परेशान थे मगर आज आप देखें तो रिलीज के 19 साल बाद भी फिल्म सदाबहार प्रतीत होती है। इसकी सबसे बड़ी खूबी यह है कि इस फ़िल्म को आप जितनी बार देखें, आप बोर महसूस नहीं करेंगे।
शानदार और यादगार गाने
देवदास के गाने आज भी दर्शको के दिल में गूंजते है. बैरी पिया, सिलसिला ये चाहत, हमेशा तुमको चाहा इन गानों ने प्यार को सच्चे रूप में पूरी तरह से समेट दिया है। दूसरी ओर, मार डाला, काहे छेड मोहे और डोला रे डोला आज तक डांस नंबर बने हुए हैं।
देवदास के गाने की लिस्ट देखें तो सभी सुपर हिट रहे हैं। सिलसिला ये चाहत का, मार डाला, बैरी पिया, काहे छेड़, छलक छलक, हमेशा तुमको चाहा, वो चांद जैसी लड़की, मोरे पिया और डोला रे। एक से बढ़कर एक शानदार और यादगार गाने। वहीं मदभरी कोयल सी आवाज की धनी श्रेया घोसाल के करियर की भी ये लकी फिल्म थी। इसी फिल्म से भंसाली ने उन्हें लीड सिंगर के रूप में स्थापित किया। और उन्हें बेस्ट प्लेबैक सिंगर का फिल्मफेयर अवॉर्ड दिलाया।
देवदास के मास्टरपीस डायलॉग
संजय लीला भंसाली की ‘देवदास’ अपने गीतों के साथ साथ अपने अनोखे संवाद की वजह से भी काफी मशहूर है। फ़िल्म मे शाहरुख खान द्वारा अदा किया गया यह डायलॉग खूब चर्चित रहा –
“पारो ने कहा शराब छोड़ दो, आज तुमने कह दिया हवेली छोड़ दो …एक दिन आएगा जब वो कहेंगे दुनिया छोड़ दो…।” या फिर यह लाइन देखें –“कौन कमबख्त बर्दाश्त करने को पीता है..”
देवदास का यह डायलॉग भी बहुत पसंद किया गया –“अपने हिस्से की जिंदगी तो हम जी चुके चुन्नी बाबू…अब तो बस धड़कनों का लिहाज करते हैं…क्या कहें ये दुनिया वालों को जो आखिरी सांस पर भी ऐतराज करते हैं।”
फिल्म ने लगाई अवार्ड्स की झड़ी
संजय लीला भंसाली की इस मास्टरपीस मूवी ने अवार्ड्स हासिल करने में भी एक बड़ी सफलता हासिल की थी। इसे सर्वश्रेष्ठ फिल्म, बेस्ट एक्टर और सर्वश्रेष्ठ निर्देशक सहित 48वें फिल्मफेयर पुरस्कार में कुल 11 पुरस्कार मिले। देवदास ने संपूर्ण मनोरंजन प्रदान करने वाली सर्वश्रेष्ठ फिल्म का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी जीता था। फ़िल्म का प्रीमियर 2002 में कान्स फिल्म फेस्टिवल में हुआ था, इसे 2003 में सर्वश्रेष्ठ विदेशी भाषा की फिल्म श्रेणी के तहत बाफ्टा में नामांकन मिला। यह फिल्म सर्वश्रेष्ठ विदेशी भाषा फिल्म की श्रेणी के तहत ऑस्कर पुरस्कार के लिए भारत की ओर से प्रस्तुत की गई थी। भंसाली की यह म्यूजिकल फ़िल्म टाइम पत्रिका की “दस १० ग्रेटेस्ट मूवीज़ ऑफ़ द मिलेनियम” में शामिल रही।
संजय लीला भंसाली के निर्देशन में बनी ‘देवदास’ को 19 साल जरूर हो गए हैं मगर आज भी इस फिल्म का चार्म और इसका क्रेज मूवी लवर्स के बीच कम नहीं हुआ है। ‘हम दिल दे चुके सनम, देवदास, ब्लैक, बाजीराव मस्तानी, पद्मावत’ जैसी क्लासिक फिल्में बनाने वाले मैजिशियन संजय लीला भंसाली की नेक्स्ट फ़िल्म का अब सबको इंतजार है। संजय लीला भंसाली की अगली फिल्म ‘गंगूबाई काठ्यावाड़ी’ है जिसमें आलिया भट्ट टाइटल रोल कर रही हैं।