“चलचित्र सेंट्रल” के सभी पाठकों को दिल से नमस्कार, आदाब ! साक्षात्कार हमारा एक ऐसा कॉलम है जिसमें हर बार हम आपकी मुलाकात एक उम्दा फ़नकार से करवाते हैं। उसे और करीब से जानने की कोशिश करते हैं। आज साक्षात्कार की इस कड़ी में हम आपको फ़िल्म मेकर “गौरव भटनागर “से रूबरू करवाने जा रहे हैं।
गौरव भटनागर एक ऐसी फिल्मी शख्सियत हैं जो अमेरिका में रहते हैं और कई अमेरिकन फिल्मो में निर्माता और कार्यकारी निर्माता (एग्जीक्यूटिव प्रोडूसर) के रूप में जुड़े रहे हैं। भारत और बॉलीवुड से रिश्ता रखने वाले गौरव भटनागर वैसे आईटी की फील्ड में हैं मगर उन्हें फ़िल्म मेकिंग में गहरी रुचि है। गौरव भटनागर हॉलीवुड और बॉलीवुड के कलाकारों और टेक्नीशियन के सहयोग से कई प्रोजेक्ट्स पर भी काम कर रहे हैं। तो आइए हम उनसे बातचीत की शुरुआत करते हैं।
प्रश्न- गौरव सबसे पहले तो चलचित्र -सेंट्रल में आपका स्वागत है । गौरव ये बताइए कि फिल्मों में आपकी दिलचस्पी कब से जगी?
उत्तर- शुक्रिया आपका और चलचित्र सेंट्रल का । यस फिल्मों में मेरी रुचि बचपन से ही थी। कम उम्र में मिस्टर इंडिया, जांबाज़, डीडीएलजे, मैंने प्यार किया, शोले जैसी बॉलीवुड मूवीज़ देखते हुए खुद कुछ क्रिएटिव करने की इच्छा जगी। बचपन में ही मैंने लिखना शुरू कर दिया था। एक साइंस फिक्शन शॉर्ट नॉवेल भी लिखा था। बचपन से ही मैं स्टार ट्रेक, स्टार्स वार्स जैसे अमेरिकन टीवी शोज़ देखा करता था और साइंस फिक्शन में मेरी गहरी रुचि जगने लगी थी। 2009 से मैंने फ़िल्म प्रोडक्शन में काम शुरू किया।
प्रश्न– हर आर्टिस्ट के बारे में पब्लिक या उनके फेन्स उनको बहुत क़रीब से जानने के लिए उत्सुक रहते हैं। उनके बारे में हर तरह की जानकारी रखना पसंद करते हैं। तो मैं चाहता हूँ कि आप अपने फैमिली बैकग्राउंड के बारे में अपने पाठकों को कुछ बताएँ?
उत्तर– मैं सहारनपुर यूपी की एक सामान्य मिडिल क्लास फ़ैमिली से हूँ। मेरा जन्म भी यूपी में ही हुआ है फिर वहीं अपनी स्कूली शिक्षा खत्म करने के बाद मैंने भोपाल में कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई की। मैंने कुछ वर्षों तक इंडिया में ही जॉब किया और और बाद में काम के लिए अमेरिका चला गया।
प्रश्न- गौरव आपका अमेरिका जाना कब हुआ? और जॉब के रहते अमेरिकन फिल्मों से कैसे आपका जुड़ाव ,लगाव हुआ? इंजीनियर होते हुए एक प्रोड्यूसर के रुप में काम शुरू करने की कोई खास वजह?
उत्तर– इंडिया में बतौर इंजीनियर मैंने कुछ इंटरनेशनल एसाइनमेंट किये । उसी दौरान अमेरिका से मुझे एक अच्छी जॉब का ऑफर आया। इस प्रस्ताव से मैं एक अलग देश में काम करने के अनुभव को लेकर उत्सुक हुआ और बिना देर किए मैं अमेरिका चला गया। पिछले 15 वर्षो से मैं कैलिफोर्निया में हूँ और 10 वर्षो से फ़िल्म प्रोडक्शन के क्षेत्र में कार्यरत हूँ ।
प्रश्न– आपका पहला प्रोजेक्ट कौन सा था और आपके ज़ेहन में उसका आईडिया कैसे आया?
उत्तर– 10 साल पहले मैंने एक हॉरर सब्जेक्ट पर काम करना शुरू किया जिसमें आर्ट इंस्टिट्यूट ऑफ कैलिफोर्निया के कुछ स्टूडेंट्स और वहाँ फ़िल्म प्रोडक्शन के क्षेत्र में काम करने वाले मेरे कुछ फ्रेंड्स ने रुचि जाहिर की। ये वो पहला अवसर था जिसे मैंने फंड किया और प्रोड्युस किया। उसके बाद ये सिलसिला लगातार जारी रहा और मैंने काफी फिल्मों में प्रोड्यूसर, कार्यकारी निर्माता के रूप में काम किया ।
प्रश्न– गौरव आप फ़िल्म “स्ट्राइव” से कैसे जुड़े?
उत्तर– मेरे एक दोस्त रॉबर्ट ने स्ट्राइव पर काम करना शुरू किया था और वो मुझे इस प्रोजेक्ट में अपने साथ काम करने के लिए फॉलो कर रहे थे। जब मैंने स्ट्राइव की स्क्रिप्ट पढ़ी तो मुझे बहुत पसंद आई। इस प्रोजेक्ट में मेरा इंट्रेस्ट जगा और मैंने हाँ कर दी। फिर क्या था बन गया काम।
प्रश्न– आईटी और फ़िल्म निर्माण दोनों बिल्कुल अलग फील्ड है, तो आप इन्हें कैसे मैनेज करते हैं?
उत्तर– आईटी मेरा पैशन रहा है और मेरी जिंदगी की पहली आर्थिक सफलता मुझे आईटी से ही मिली है। दूसरा फिल्म निर्माण मेरी खुशी है। देखा जाए तो फ़िल्म प्रोडक्शन भी तकनीकी रूप से एक चुनौतीपूर्ण काम है और अब तो फ़िल्म बनाने में टेक्निकल वर्क बहुत ज़्यादा होता है। आप फ़िल्म प्रोडक्शन को भी एक प्रोजेक्ट मैनेजमेंट की तरह देख सकते हैं। मेरी नज़र में फ़िल्म प्रोडक्शन में जो क्रिएटिव संतुष्टि मिलती है वो आईटी फील्ड से काफी अधिक है। मैं फ़िल्म प्रोडक्शन के लिए समय निकालता हूँ और रचनात्मक काम के लिए काम से छुट्टी के दौरान वक्त बिताता हूँ।
प्रश्न– क्या कोई बॉलीवुड फिल्म डायरेक्ट या प्रोड्युस करने की आपकी कोई योजना है ?
उत्तर– जरूर ! मेरा मानना है कि हर जॉनर ट्राय करना चाहिए उससे आपको अनुभव ही मिलता है। अभी मेरे पास तीन ऐसे विषय हैं जिन पर मैं काम कर रहा हूँ । मेरा टारगेट है इंडो-वेस्टर्न सब्जेक्ट्स। इस साल के अंदर मैं एक फ़िल्म प्रोड्यूस करने की योजना रखता हूँ और उम्मीद करता हूँ कि वो जल्दी पर्दे पर नजर आए।
प्रश्न– अपनी फिल्म “बाय बाय किट्टी” के बारे में कुछ बताएँ ?
उत्तर– बाय बाय किट्टी एक स्लैप स्टिक कॉमेडी फिल्म है। मेरे दोस्त जेफ ब्राउन ने इसे लिखा है। टॉम सिज़मोर ने इसमें अभिनय किया है। इस कॉमेडी फिल्म में कल्पना की उड़ान क्रेज़ी लेवल पर है। आप इसमें कुछ ऐसे किरदार देखेंगे जो वास्तविक नहीँ हैं । जैसे बिग फूट्स, एलियन्स, प्लेन क्रैश इत्यादि। स्टोरी एक रोड ट्रिप पर आधारित है। इस फ़िल्म का हर मिनट कॉमेडी पंच से भरा हुआ है। मूवी हमने कैलिफोर्निया में ही शूट की है और जल्दी ही हमारा पोस्ट प्रोडक्शन खत्म होगा।
प्रश्न– फिल्म “कर्मा” किस तरह की फिल्म है? और कैसे आपको इस फिल्म को लिखने का खयाल आया?
उत्तर– “कर्मा” मूवी पूरी तरह से हॉलीवुड स्टाइल का सिनेमा है। इस को क्रिस्टियन एंडरसन ने लिखा है। इस मूवी को बनाने का ख्याल मुझे निर्भया कांड से आया। वैसे तो यह एक कमर्शियल थ्रिलर फिल्म है पर इसमें इमोशनल लेवल पर दिल को छू लेने वाली कहानी है। जिसमें एक लड़की अपनी बहन को वुल्फ गैंग से छुड़ाने के लिए एक अजनबी की मदद लेती है। ये मेरा एक महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट है और जिसे मैं बहुत जल्द प्रोड्युस करूँगा।
प्रश्न– हॉलीवुड और बॉलीवुड के कलाकारों और टेक्नीशियन के साथ मिलकर आप किस तरह का प्रोजेक्ट बनाने का प्लान कर रहे हैं?
उत्तर– मुझे कॉमेडी, हॉरर और साइंस फिक्शन जॉनर अच्छे लगते हैं। फिलहाल मैं एक कॉमेडी प्रोजेक्ट पर काम कर रहा हूँ। जिसमें मेरे दोस्त और कॉमेडियन केविन कविनो भी स्क्रिप्ट डिवेलपमेंट पर काम कर रहे हैं।
प्रश्न– गौरव फ़िल्म मेकिंग आपके लिए एक आर्ट है या केवल बिज़नस?
उत्तर– दोनों है! मैं सिर्फ बिज़नस के लिए फिल्म्स नहीं करना चाहता। मैं अपने आईडिया पर काम करता हूँ और अपने प्रोजेक्टस पर डिवेलपमेंट कर रहा हूँ। अगर मुझे प्रोजेक्ट और टीम अच्छी लगती है तो सेकंडरी लेवल पर मैं इन्वेस्टमेंट भी करता हूँ।
प्रश्न– हॉलीवुड बॉलीवुड के कौन से डायरेक्टर्स आपके फेवरेट हैं, जो आपको प्रेरित करते हैं?
उत्तर– हॉलीवुड में मुझे जेम्स कैमरून, स्टीवन स्पिलबर्ग, अल्फ्रेड हिचकॉक, क्वेन्टिन टारनटीनो, जार्ज लुकस, जे जे अब्राहम पसन्द हैं जबकि इंडिया में संजय लीला भंसाली और एस एस राजामौली मेरे फेवरेट डायरेक्टर्स हैं। ये सब मेरे लिए इंस्पिरेशन हैं। मैंने सबका काम बहुत बारीकी से देखा है और सबसे ही बहुत कुछ सीखने को मिला। मैं आज भी अपने हर प्रोजेक्ट से कुछ ना कुछ सीखता हूँ और उनपर अमल करने की कोशिश करता हूँ।