एच एनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय के नौवें दीक्षांत समारोह में सुप्रसिद्ध लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी को मिली डॉक्टर्स ऑफ लेटर्स की उपाधि

लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी को मिली डॉक्टर ऑफ लेटर्स की उपाधि

हेमवंती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केन्द्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर गढ़वाल का नौवाँ दीक्षांत समारोह 1 दिसंबर 2021 को सम्पन्न हुआ। विश्वविद्यालय द्वारा प्रसिद्ध लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी को लोककला और संगीत में अतुलनीय योगदान के लिए डॉक्टर ऑफ लेटर्स की उपाधि से सम्मानित किया गया। नरेंद्र सिंह नेगी को मिली इस उपाधि ने न केवल उनको गौरवान्वित किया वरन इससे समस्त उत्तराखंड की संस्कृति को सम्मान मिला।

ज्ञात हो 12 अगस्त 1949 में जन्में नरेंद्र सिंह नेगी को गढ़ रत्न की उपाधि भी दी गई है। अपने गीतों के माध्यम से उन्होंने उत्तराखण्ड की संस्कृति, यहाँ के समाज और लोगों के जीवन और लोगों की कई परेशानियों को भी उभारने का कार्य किया है। वह अब तक 1000 से ऊपर गीत गा चुके हैं।

आपको बताते चलें कि एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय ने नौवें दीक्षांत समारोह का आयोजन किया जिसमें ३८१६ उपाधियाँ प्रदान की गई। इस = समारोह में 147 पीएचडी, 10 एमफिल तथा 3659 स्नातकोत्तर उपाधियाँ प्रदान की गईं। इसक अलावा विभिन्न विषयों में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को 59 स्वर्ण पदक और दस हजार रुपये नगद पुरुस्कार दिए गए।

स्वामी मन्मथन प्रेक्षागृह में आयोजित दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि संसदीय सत्र की व्यस्तता के कारण ऑनलाइन माध्यम से जुड़े जबकि विशिष्ट अतिथि चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, रक्षा मंत्रालय, भारत सरकार जनरल विपिन रावत तय कार्यक्रमानुसार श्रीनगर पहुँचे। आयोजित समारोह की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ योगेंद्र नारायण ने ऑनलाइन माध्यम से की।

समारोह का दीप प्रज्वलन विशिष्ट अतिथियों के साथ विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर अन्नपूर्णा नौटियाल ने किया और माननीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान सहित अन्य सम्मानित मंत्रियों का हार्दिक स्वागत किया।

नरेंद्र सिंह नेगी ने अपनी इस खुशी को अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर अपने चाहने वालों के साथ साझा की है। उनकी इस खुशी के लिए चलचित्र सेंट्रल की ओर से नरेंद्र सिंह नेगी को हार्दिक शुभकामनाएँ ।

About सुजाता देवराड़ी

सुजाता देवराड़ी मूलतः उत्तराखंड के चमोली जिला से हैं। सुजाता स्वतंत्र लेखन करती हैं। गढ़वाली, हिन्दी गीतों के बोल उन्होंने लिखे हैं। वह गायिका भी हैं और अब तक गढ़वाली, हिन्दी, जौनसारी भाषाओँ में उन्होंने गीतों को गाया है। सुजाता गुठलियाँ नाम से अपना एक ब्लॉग भी चलाती हैं।

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